भारत पाकिस्तान के बीच शुरु होगा युद्ध?
6 मई की रात, भारत ने पहलगाम हमले का जवाब देते हुए आतंकी ठिकानों पर हमला किया। लेकिन पाकिस्तान ने इसे उकसाने वाली कार्रवाई समझकर सीमा पर और नागरिक इलाकों पर हमले शुरू कर दिए। भारतीय सेना इसका तीव्र प्रतिकार कर रही है। कुल मिलाकर, स्थिति युद्ध की तरह बन गई। क्या इसका अर्थ है कि दोनों देशों में युद्ध छिड़ गया?

6 मई की रात, भारत ने पहलगाम हमले का जवाब देते हुए आतंकी ठिकानों पर हमला किया। लेकिन पाकिस्तान ने इसे उकसाने वाली कार्रवाई समझकर सीमा पर और नागरिक इलाकों पर हमले शुरू कर दिए। भारतीय सेना इसका तीव्र प्रतिकार कर रही है। कुल मिलाकर, स्थिति युद्ध की तरह बन गई।
क्या इसका अर्थ है कि दोनों देशों में युद्ध छिड़ गया?
आइए बतातेहैं कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसकी औपचारिक घोषणा कौन करेगा?
भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण यह प्रश्न अक्सर उठता है। भारतीय संविधान और कानूनी ढांचे के अनुसार, युद्ध की औपचारिक घोषणा करने की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से निर्धारित है।
युद्ध की घोषणा कौन करता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 53 के तहत, राष्ट्रपति भारत के सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर होते हैं। हालांकि, युद्ध की घोषणा करने का निर्णय राष्ट्रपति अकेले नहीं ले सकते। यह निर्णय संसद की मंजूरी के बाद ही लिया जा सकता है। इसका अर्थ है कि संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—को युद्ध की घोषणा के प्रस्ताव को पारित करना होगा।
प्रक्रिया क्या है?
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सरकार का प्रस्ताव: जब सरकार को लगता है कि युद्ध अपरिहार्य हो गया है, तो वह संसद में एक प्रस्ताव पेश करती है।
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संसद की मंजूरी: लोकसभा और राज्यसभा दोनों में इस प्रस्ताव पर चर्चा होती है और इसे पारित किया जाता है।
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राष्ट्रपति की घोषणा: संसद की मंजूरी के बाद, राष्ट्रपति औपचारिक रूप से युद्ध की घोषणा करते हैं।
क्या बिना घोषणा के युद्ध हो सकता है?
हालांकि संविधान युद्ध की औपचारिक घोषणा की प्रक्रिया निर्धारित करता है, लेकिन वास्तविकता में कई बार बिना औपचारिक घोषणा के भी सैन्य संघर्ष होते रहे हैं। उदाहरण के लिए, 1999 का कारगिल युद्ध एक पूर्ण युद्ध नहीं था, और इसकी कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई थी।
निष्कर्ष
भारत में युद्ध की औपचारिक घोषणा एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें सरकार, संसद और राष्ट्रपति की भूमिका होती है। हालांकि, व्यावहारिक परिस्थितियों में बिना औपचारिक घोषणा के भी सैन्य संघर्ष संभव हैं।