महाराष्ट्र सरकार ने रद्द की त्रिभाषा नीति, हिंदी को तीसरी भाषा बनाने का फैसला वापस
महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में मराठी, अंग्रेज़ी के साथ हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने की त्रिभाषा नीति को विरोध के बाद वापस ले लिया है। शिक्षाविदों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज के भारी विरोध के बाद यह निर्णय लिया गया।

महाराष्ट्र में तीन भाषाओं को लागू करने की नीति को रद्द कर दिया गया है. महाराष्ट्र सरकार ने बीते दिनों तीन भाषाओं को लागू करने का प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव के बाद से ही सरकार को शिक्षाविदों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज समूहों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा था. इस विरोध के बाद नीति को रद्द कर दिया गया है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य बोर्ड के स्कूलों में कक्षा 1 से हिंदी को डिफॉल्ट तीसरी भाषा बनाने का फैसला लिया था. इस फैसले का पूरे राज्य में विरोध हुआ और काफी विवादों का सामना राज्य सरकार को करना पड़ा, जिसके चलते सरकार बैकफुट पर आ गयी.
महाराष्ट्र सीएम ने बनाई नई नीति
महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल की तरफ से राज्य बोर्ड के स्कूलों में त्रिभाषा नीति लागू करने की योजना बनाई गयी थी. इससे जुड़े सरकारी आदेश भी जारी कर दिए गए थे. राज्य सरकार की तीन भाषाओं को लागू करने की नीति की घोषणा के बाद राज्य में इसका विरोध शुरू हो गया. धीरे-धीरे विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि सरकार को ये आदेश वापस लेना पड़ गया. आपको बता दें कि सरकार मराठी, इंग्लिश भाषा के अलावा हिंदी को डिफॉल्ट तीसरी भाषा बनाने का आदेश लेकर आयी थी. इस फैसले का विरोध राजनीतिक दलों, शिक्षाविदों समेत महाराष्ट्र के नागरिकों ने मिलकर किया. यहाँ तक महाराष्ट्र के स्कूलों में भी इस फैसले का विरोध देखने को मिला.
सरकार ने रद्द की त्रिभाषा नीति
महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार की त्रिभाषा नीति को लेकर शुरू हुआ विरोध सरकार पर भारी पड़ने लगा. इस बवाल के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस नीति को वापस लेने का फैसला लिया. सीएम फडणवीस ने आरोप लगाया कि, "मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे ने कक्षा 1 से 12 तक त्रिभाषा नीति शुरू करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था. साथ ही नीति लागू करने पर एक समिति गठित की थी." फडणवीस ने कहा, 'राज्य मंत्रिमंडल ने कक्षा एक से त्रिभाषा नीति के कार्यान्वयन के संबंध में अप्रैल और जून में जारी सरकारी संकल्प (जीआर) को वापस लेने का फैसला किया है. इसे लागू करने सिफारिश करने के लिए डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी."
16 अप्रैल को आया सरकारी आदेश
फडणवीस सरकार की तरफ से 16 अप्रैल को एक जीआर जारी किया था. इसमें अंग्रेजी और मराठी मीडियम के स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाया गया था. विरोध के बीच, सरकार ने 17 जून को संशोधित जीआर जारी किया, जिसमें हिंदी को वैकल्पिक भाषा बनाया गया.