महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर सीएम भगवंत मान ने अर्पित की श्रद्धांजलि, शिक्षा के प्रसार के लिए आम आदमी पार्टी भी समर्पित
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान रविवार को जालंधर में आर्य समाज के संस्थापक और भारत के महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और महर्षि जी द्वारा शिक्षा, समाज सुधार और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में किये गये प्रेरणादायक कार्यों को याद किया।
जालंधर/ चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान रविवार को जालंधर में आर्य समाज के संस्थापक और भारत के महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और महर्षि जी द्वारा शिक्षा, समाज सुधार और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में किये गये प्रेरणादायक कार्यों को याद किया।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में महान कार्य किए। उन्होंने समाज की कुरीतियों के खिलाफ लम्बा संघर्ष किया और शिक्षा के माध्यम से लोगों को जागरूक कर परिवर्तन का रास्ता तैयार किया। देश के इतिहास में उनका योगदान अतुलनीय है।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी और आर्य समाज का मकसद मिलता जुलता है। हम भी शिक्षा की बातें करते हैं और आर्य समाज का फाउंडेशन भी शिक्षा का प्रसार करता है। डीएवी फाउंडेशन के स्कूलों और कॉलेजों में देशभर में लाखों बच्चे पढ़ रहे हैं। इन स्कूलों में उच्च स्तर की शिक्षा प्रदान की जाती है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही समाज में परिवर्तन संभव है। समाज की समस्याओं का भी शिक्षा के माध्यम से ही समाधान हो सकता है। मुख्यमंत्री ने लाला लाजपत राय, शहीद भगत सिंह और करतार सराभा के बलिदानों का जिक्र किया और कहा कि आदमी उम्र से नहीं अपनी सोच और संघर्ष से बड़ा होता है। भगत सिंह ने अपनी सोच से युवाओं के बीच क्रांति पैदा की। मात्र 23 साल की उम्र में उन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की सबसे बड़ी खूबसूरती ये है कि यहां सभी धर्मों के बीच सद्भाव और प्रेम है। पंजाब गुरूओं - पीरों की धरती है। यहां नफरत के बीज नहीं उग सकते। यहां के लोग ईद होली दिवाली और गुरू पर्व साथ मिलकर मनाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीति कभी भी जाति आधारित नहीं होनी चाहिए। हमारे ऋषियों मुनियों ने हमें इंसानियत का पाठ पढ़ाया है। उन्होंने हमें जाति-धर्म से उपर उठकर समाज के लिए काम काम करना सिखाया है। आज हमें उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
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