India-Turkey Trade Falls 63% Before Boycott Began
भारत और तुर्की के बीच व्यापार पहले ही 63% तक गिर चुका है। बॉयकॉट तो अब हो रहा है, लेकिन आंकड़े पहले ही बहुत कुछ कह रहे हैं।

भारत ने तुर्की से खींच लिए हाथ? आंकड़े बताते हैं सच्चाई
हाल ही में भारत में Turkey को लेकर सोशल मीडिया पर बॉयकॉट ट्रेंड कर रहा है, लेकिन असलियत ये है कि भारत-तुर्की व्यापार में गिरावट पहले ही दर्ज हो चुकी है। डेटा के मुताबिक, 2023-24 के बीच दोनों देशों के बीच व्यापार में करीब 63% की भारी गिरावट आई है।
यानी जो विरोध आज तेज़ हो रहा है, उसकी आर्थिक बुनियाद कई महीनों पहले ही हिल चुकी थी।
पहले कितना कारोबार होता था?
2022-23 में भारत और तुर्की के बीच व्यापार 12.6 बिलियन डॉलर का था। लेकिन 2023-24 में यह गिरकर सिर्फ 4.6 बिलियन डॉलर रह गया। यह गिरावट लगभग 63.5% है — जो किसी भी द्विपक्षीय व्यापार के लिए बहुत बड़ा झटका माना जाता है।
क्या वजह रही इतनी तेज़ गिरावट की?
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तुर्की का पाकिस्तान और फिलिस्तीन पर रुख – तुर्की ने कई बार कश्मीर और गाजा मुद्दे पर भारत के खिलाफ बयान दिए हैं।
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राजनीतिक तनाव – इन बयानों की वजह से भारत और तुर्की के बीच डिप्लोमैटिक दूरी बढ़ गई।
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बिजनेस रूट में बदलाव – भारतीय कंपनियां अब वैकल्पिक बाज़ारों की ओर रुख कर रही हैं।
ट्रेड तो टूटा ही है, अब भरोसा भी डगमगाया
भारत में कई बिज़नेस यूनियनों और ऑनलाइन कैम्पेन्स में यह मांग उठी है कि तुर्की से आयात बंद किया जाए। हालांकि सरकार की ओर से कोई सीधा बॉयकॉट नहीं हुआ है, लेकिन प्राइवेट कंपनियों ने खुद ही तुर्की से व्यापार घटाना शुरू कर दिया है।
कौन-कौन से सेक्टर सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए?
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इलेक्ट्रॉनिक आयात – भारी गिरावट
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मशीनरी और स्टील सेक्टर – 50% से ज़्यादा कमी
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टेक्सटाइल और कपड़ा – कंपनियों ने तुर्की के विकल्प खोज लिए
अब बात सिर्फ ट्रेड की नहीं, भरोसे की है
तुर्की के राजनीतिक रवैये ने भारतीय उद्योगों और आम नागरिकों के बीच एक नया अविश्वास पैदा किया है। और ये आंकड़े उसी का प्रमाण हैं। अब देखना ये होगा कि आने वाले महीनों में क्या दोनों देश रिश्ते सुधारने की कोशिश करते हैं या दूरी और बढ़ेगी।