एस. जयशंकर का बड़ा खुलासा: भारत-पाक संघर्षविराम पर ट्रंप के दावे को बताया झूठ
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाक संघर्षविराम पर किए गए दावे को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत ने किसी बाहरी दबाव में नहीं, बल्कि पाकिस्तान की अपील पर ऑपरेशन सिंदूर रोका था।

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम के बाद से ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार इस सीजफायर का क्रडिट खुद लेते आये हैं. कई मौकों पर उन्हें सीजफायर का क्रेडिट लेते हुए देखा गया है. हालाँकि भारत ने युद्ध से पहले और बाद में भी कई बार ये साफ तौर पर कहा है कि भारत लक्ष्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा. इसके बावजूद राष्ट्रपति ट्रंप अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं और बार बार सीजफायर कराने का बयान दुनिया के सामने दे रहे हैं. इस पूरे मामले पर अब भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने राष्ट्रपति ट्रंप के झूठे दावों की पोल खोली है. उन्होंने ट्रंप के उस दावे को सिरे से नकार दिए हैं जो ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिन्दूर के बाद सीजफायर कराने का करते आ रहे हैं.
डॉ. एस जयशंकर की दो टूक
जब से भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिन्दूर के बाद युद्धविराम हुआ है, तबसे लगातार शांति वार्ता करवाने का क्रेडिट खुद ट्रंप लेते आ रहे हैं. हालाँकि कई बार ये साफ किया जा चुका है कि भारत किसी तीसरे देश को इस मुद्दे के बीच में नहीं चाहता है. इसके बाद भी ट्रंप की बयानबाजी जारी है. ट्रंप ने कहा था कि, "भारत और पाकिस्तान को व्यापार के दबाव में आकर संघर्ष विराम के लिए राजी होना पड़ा।" भारत ने पहले दिन से ये साफ किया है कि, "पाकिस्तानी सेना के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष से गुहार लगाई, तब जाकर भारत ऑपरेशन सिंदूर इस शर्त के साथ रोकने पर तैयार हुआ कि आतंकवादी हमला होने पर वह इसे फिर से शुरू कर देगा।
इसे लेकर अब भारत के विदेश मंत्री ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए शांति वार्ता की चर्चा की है. उन्होंने बताया है कि उस दिन बातचीत के दौरान क्या हुआ था. इसी के साथ उन्होंने कड़ा सन्देश अमेरिका के राष्ट्रपति को दे डाला है.
'मैं उस रात उस कमरे में था, जब वेंस ने बात की थी'
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, 'मैं आपको बता सकता हूं कि मैं उस कमरे में था, जब उपराष्ट्रपति वेंस ने 9 मई की रात को प्रधानमंत्री मोदी से बात की थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी भारत पर बहुत बड़ा हमला करने वाले हैं... हमने कुछ चीजें नहीं मानीं, और प्रधानमंत्री पाकिस्तानियों की धमकियों से बेपरवाह थे।' उन्होंने आगे कहा, 'इसके विपरीत,उन्होंने (पीएम मोदी) संकेत दिया कि हमारी तरफ से भी जवाब दिया जाएगा।'
'व्यापार और संघर्ष विराम के बीच कोई संबंध नहीं'
न्यूयॉर्क में न्यूजवीक के साथ एक खास बातचीत में जयशंकर ने कहा कि, "राजनयिक चर्चाओं में व्यापार का कोई रोल नहीं था। ...भारत का संघर्ष विराम का फैसला किसी बाहरी दबाव में नहीं था।" जयशंकर ने नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच हुई बातचीत के बारे में विस्तार से बताया। यह बातचीत इस्लामाबाद के साथ संघर्ष विराम समझौते से पहले हुई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि, "व्यापार और संघर्ष विराम के फैसले के बीच कोई संबंध नहीं था। ...जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उन्हें फोन किया, तब वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ थे।" उन्होंने साफ किया कि, "भारत की तरफ से ऐसी कोई व्यापार-संबंधी बात नहीं हुई थी।"
विदेश मंत्री ने बताया कि संघर्ष विराम से पहले क्या हुआ
जयशंकर ने संघर्ष विराम तक की घटनाओं का क्रम बताया। उन्होंने कहा कि, "वेंस के फोन के बाद, अगली सुबह उनकी और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच बात हुई। रुबियो ने जयशंकर को बताया कि 'पाकिस्तानी बात करने के लिए तैयार हैं।' बाद में दोपहर में पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने सीधे अपने भारतीय समकक्ष, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को फोन किया और संघर्ष विराम की मांग की। जयशंकर ने न्यूजवीक के सीईओ देव परागद के साथ एक बातचीत में कहा, 'इसलिए, मैं आपको केवल अपने निजी अनुभव से बता सकता हूं कि क्या हुआ।'