The Hunt: The Rajiv Gandhi Case जिसे सोनी लिव पर 4 जुलाई 2025 को रिलीज़ किया गया । यह राजीव गांधी की 1991 की हत्या

The Hunt: The Rajiv Gandhi Assassination Case एक 7 एपिसोड की वेब सीरीज है, जिसे सोनी लिव पर 4 जुलाई 2025 को रिलीज़ किया गया । यह राजीव गांधी की 1991 की हत्या और उसके बाद 90 दिन चलने वाले मनहंट पर आधारित है

Jul 9, 2025 - 15:40
The Hunt: The Rajiv Gandhi Case  जिसे सोनी लिव पर 4 जुलाई 2025 को रिलीज़ किया गया । यह राजीव गांधी की 1991 की हत्या

 परिचय: एक इतिहासआधारित थ्रिलर

The Hunt: The Rajiv Gandhi Assassination Case” एक 7‑एपिसोड की वेब सीरीज है, जिसे सोनी लिव पर 4 जुलाई 2025 को रिलीज़ किया गया यह राजीव गांधी की 1991 की हत्या और उसके बाद 90‑दिन चलने वाले मनहंट पर आधारित है, जिसे अभिज्ञान पत्रकार अनिरुध्या मित्रा की किताब 90 दिन से रूपांतरित किया गया है

 कहानीसंक्षेप: 90‑दिन की खोज कलाकार और अभिनय

साल 1991 के 21 मई, तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदर में हुई आत्मघाती बमबारी ने देश को हिला कर रख दिया। इसके तुरंत बाद CBI और SIT (विशेष जांच टीम) ने D.R. Kaarthikeyan (अमित सियाल) के नेतृत्व में एक तेज़तर्रार जांच शुरू की। इस सीरीज में आप एसआईटी के सदस्योंमाध्यमिक किरदारों जैसे अमित वर्मा (साहिल वैद), रगोथमन (भगवती पेरुमल), अमोद कांट (दानिश इकबाल), राधाविनोद राजू (गिरीश शर्मा) और एनएसजी कमांडो रविंद्रन (विद्युत गर्ग)—को बारीकी से देखने को मिलते हैं जांच की शुरुआत जांचफोरेंसिक क्लू से होती है और धीरेधीरे एक जटिल राजनीतिकआईटीजाल तक पहुंचती है। अमित सियाल  शांत, ठंडे दिमाग वाले अधिकारी की भूमिका में, सियाल ने बिना अतिशयोक्ति के अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है ।साहिल वैद (SP अमित वर्मा): ‘हुमPTY शर्मा की दुल्हनियाजैसे कॉमेडी भूमिकाओं से अलग, यहां उन्होंने एक गंभीर पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई, जो दोनों भाषाएँहिंदी और तमिलप्रभावी रूप से बोलते दिखते हैं ।भगवती पेरुमल: तमिलभाषी किरदार में चुप्पी के साथ गहराई लाते हैं शफीक मुस्तफा (LTTE मास्टर्माइंड शिवरासन): लंबे संवादों की जगह बेशक कम बोले, लेकिन उसकी आंखों ने कहानी में आतंक की झलक दिखाई

फिल्म का निर्देशन, कहानी लिखना, निर्माण की गुणवत्ता और सच्चाई का अहसास

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक नागेश कुकुनूर ने इस सीरीज में संवाद और दृश्यों को बहुत ही सच्चाई के साथ दिखाया है। कहानी में कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं है, बल्कि वह अपने आप आगे बढ़ती है। पटकथा लिखने में रोहित बनवालिकर और श्रीराम राजन ने भी मदद की है। उन्होंने इसे एक क्राइम जांच जैसी शैली में ढाला है, जिसमें थोड़ी बहुत राजनीति भी दिखाई देती है, लेकिन किसी एक पक्ष का समर्थन नहीं किया गया है।

सीरीज में 1990 के दशक की चीज़ें जैसे एम्बेसडर कार, रोटरी फोन और प्रिंट की हुई तस्वीरें बहुत ही स्वाभाविक ढंग से दिखाई गई हैं, जिससे उस समय का माहौल असली जैसा लगता है। तमिल और हिंदी भाषा के संवाद उस इलाके की भाषा और संस्कृति को सही तरीके से दिखाते हैं। इससे देखने और सुनने वालों को एक असली अनुभव मिलता है। हालांकि, हिंदी वर्जन में तमिल भाषा के संवाद थोड़े ज्यादा हैं, जिससे हिंदी सबटाइटल की कमी महसूस होती है।

पॉज़िटिव पहलू कुछ कमज़ोरियां

संवेदनशीलता के साथ सच्चाई सीरीज़ बिना सजावट के उस समय का सच दिखाती हैकभी ये दिखने में ‘क्लेमेक्स जैसा , तो कभी ये कहती है , “यह पूरा सच नही बल्कि जांच की कसौटी है । पेस थोड़ी धीमी 5वें एपिसोड के बाद कहानी की गति थोड़ी धीमी लगती है । क्लाइमेक्स की तीव्रता ने यह भी बताया कि अंत थोड़ा ‘कम झलक वाला महसूस होता है , जबकि वास्तविक इतिहास में यह घड़ी बेतहाशा तनावभरी थी । हिंदी सबटाइटल की कमी खासकर हिंदी में सुनने समझने वाले दर्शक तमिल संवाद की वजह से थोड़े चैंलेंज महसूस कर सकते हैं ।

कहाँ देखें निष्कर्ष

यह पूरी सीरीज़ सोनी लिव पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है , और 4 जुलाई 2025 से शुरू होकर अब देखने के लिए तैयार है| अगर आप “सच्ची घटनाओं पर आधारित उथल पुथल और जांच कहानी पसंद करते हैं , तो “The Hunt” आपके लिए उपयुक्त है । यह सिर्फ एक थ्रिलर नहीं बल्कि देश के एक ऐतिहासिक अध्याय की सफ़ल तथा सोच विचार वाली प्रस्तुति है । कास्टिंग , निर्देशन और पटकथा इसकी ताक़त हैं । कुछ धीमे पल हों लेकिन अंत तक यह सीरीज आपको बांधे रखती है ।एक बार जितनी गंभीरता , क्षमता और वस्तुनिष्ठता यह पेश करती है , वह भारतीय OTT स्पेस में जहाँ तहाँ नहीं मिलती । इसलिएझिझकिये मत , सोनी लिव खोलिए , और ‘The Hunt’ को एक बार ज़रूर आज़माइए ।


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