भारत और इंग्लैंड टेस्ट सीरीज को अब तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी के नाम से जाना जाएगा। पहले पटौदी ट्रॉफी के नाम से जाना जाता था
10 से 14 जुलाई 2025 तक लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में खेले गए इंग्लैंड और भारत के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के तीसरे मैच में दोनों टीमें अहम मोड़ पर थीं। श्रृंखला 1-1 से बराबर थी—इंग्लैंड ने पहले टेस्ट (लीड्स) में 5 विकेट से जीत हासिल की और भारत ने दूसरे टेस्ट (एडगबस्टन) में 336 रन से बेहतरीन वापसी की

इंग्लैंड VS भारत
10 से 14 जुलाई 2025 तक लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में खेले गए इंग्लैंड और भारत के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के तीसरे मैच में दोनों टीमें अहम मोड़ पर थीं। श्रृंखला 1-1 से बराबर थी—इंग्लैंड ने पहले टेस्ट (लीड्स) में 5 विकेट से जीत हासिल की और भारत ने दूसरे टेस्ट (एडगबस्टन) में 336 रन से बेहतरीन वापसी की । इस मुकाबले का नतीजा न सिर्फ श्रृंखला की दिशा तय करेगा बल्कि विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (2025–27) पर भी इम्पैक्ट डालेगा। लॉर्ड्स की पिच पर हर किसी की निगाहें थीं, जहां तेजबाजी और मध्यम-पेस को फायदा मिल सकता था।
टीमों के फ़ैसला लॉर्ड्स की पिच
स्थल विशेष टॉस जीतकर इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाज़ी चुनी , जो लॉर्ड्स की गर्म और बैटर फ्रेंडली कंडीशंस का लाभ था । इंग्लैंड ने घायल जॉफ़्रा आर्चर को चोट से ठीक होते हुए टीम में वापसी दी उनका यह पहला घरेलू टेस्ट था । वहीं भारत ने जसप्रीत बुमराह को शामिल किया , जो चोट से उबरकर वापसी कर रहे थे । यह बदलाव रणनीतिक दृष्टि से अहम था दोनों तेज़ गेंदबाज़ मैच की दिशा बदल सकते थे । लॉर्ड्स की पिच की अद्वितीयता उसका स्लोप है लगभग 5 मीटर ऊँच नीच पाइपलाइन जैसी स्थिति । इस स्लोप की वजह से गेंदबाज़ियों में उछाल , स्विंग और दिशा परिवर्तन सुनियोजित होता है , जिससे बल्लेबाज़ों और विकेटकीपरों दोनों के लिए चुनौती बढ़ जाती है । भारतीय बैटिंग को प्रशिक्षित करने वाले तकनीशियन भी स्लोप को अचंभित करने वाला बता रहे हैं । इस मैच में स्लोप की भूमिका निर्णायक हो सकती थी ।
पहले दिन की खेल समीक्षा कप्तान और रणनीतिक पहल --पहले दिन 10 जुलाई के पहले सत्र में इंग्लैंड का जवाब मिश्रित रहा । ओपनर्स ज़ैक क्रॉली और बेन डकेट ने सावधानी से शुरुआत की,लेकिन चुनौतियों का सामना किया—डकेट ने बुमराह की गेंद पर पहला चौका लगाया,जबकि क्रॉली गेंद पर कट कर नदी की ओर से सीमा तक मारा । भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने शुरुआती ओवरों में पिच की उछाल और स्विंग का फायदा उठाते हुए दबाव बनाने की कोशिश की । डे,डायरेक्टर और बुमराह की तेज़ लाइनें सराहनीय थीं । पहला दिन इंग्लैंड का स्कोर लगभग संतुलित रहा ,लेकिन स्थिरता की कमी स्पष्ट थी । दोनों कप्तानों बेन् स्टोक्स और शुबमन गिल की रणनीतिक सोच पर ध्यान दिया गया । स्टोक्स ने बोलर्स को समय देने के साथ बैटिंग लाइन-अप में संयम दिखाया , जबकि गिल की कप्तानी लगातार असर दिखा रही थी । गिल ने पहले दो मैचों में दो शतक 127 और और एक डबल-हंड्रेड बनाए—जो उनके कप्तान के रूप में बेहतरीन प्रविष्टि के रूप में गिनी जा रही है । इस फॉर्म ने टीम इंडिया को आत्मविश्वास दिया और श्रृंखला में दबदबा बनाए रखने में मदद की । लॉर्ड्स टेस्ट की महत्वपूर्ण आकांक्षाएँ लॉर्ड्स पर पहले दिन की परिस्थितियाँ यह संकेत देती थीं कि यह मैच पांच दिन चलता रहेगा । दोनों टीमों के पास उत्कृष्ट बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ मौजूद हैं—और यह मिड-सीरीज टकराव शृंखला के आगे के परिणाम पर असर डाल सकता था । पिच की शुरुआत थोड़ी मुश्किल दिखी , पर यह समय के साथ बल्लेबाज़ों के पक्ष में घूम सकती थी—जो इंग्लैंड के लिए मुफीद हो सकता था , खासकर जब आर्चर और स्टोक्स जैसा बेहतरीन तेज़ स्पैल तबाही मचा सकता है । वहीं भारत की बल्लेबाज़ी गहराई और बुमराह का अनुभव भी बराबरी पर टक्कर दे सकता था ।
निष्कर्ष
यह टेस्ट सिर्फ स्कोर और आंकड़ों से कहीं अधिक था—यह एक ऐसी लड़ाई थी जिसमें तकनीक, धैर्य, रणनीति, उपलब्धियों और मैदान की भौगोलीय संरचना का तालमेल था। गिल की कप्तानी और बेहतरीन फॉर्म, इंग्लैंड का आर्चर-बुमराह टकराव, स्लोप की चुनौती, और लॉर्ड्स का ऐतिहासिक माहौल—इन सब ने मिलकर एक यादगार मुकाबले का आधार तैयार किया। परिणाम चाहे जो भी रहे, यह टेस्ट सीरीज विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप में महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी और क्रिकेटप्रेमियों के लिए लंबे समय तक चर्चा का विषय बनेगी।