The top 10 tourist spots in Delhi
दिल्ली उसकी ऐतिहासिकता और आधुनिकता का अनूठा मिश्रण है । यह शहर सिर्फ शासन का केंद्र नहीं , बल्कि हजारों साल की संस्कृति , विविधता और राजनीति का दर्पण भी है । पुराने शहर की संकरी गलियों में जामिया मस्जिद और पुराना किला चुपचाप इतिहास की सुनसान कहानियाँ बयान करते हैं

परिचय
दिल्ली उसकी ऐतिहासिकता और आधुनिकता का अनूठा मिश्रण है । यह शहर सिर्फ शासन का केंद्र नहीं , बल्कि हजारों साल की संस्कृति , विविधता और राजनीति का दर्पण भी है । पुराने शहर की संकरी गलियों में जामिया मस्जिद और पुराना किला चुपचाप इतिहास की सुनसान कहानियाँ बयान करते हैं , जबकि नई दिल्ली के वास्तुशिल्प चमत्कार—राष्ट्रपति भवन , इंडिया गेट और आधुनिक मेट्रो नेटवर्क—एक विकसित , गतिशील शहर की पहचान प्रस्तुत करते हैं । दिल्ली तीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की धनी है क़ुतुब मिनार , हुमायूँ का मकबरा , और पुराना किला । ये स्थल सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं हैं , बल्कि मुगल , सुलतान और ब्रिटिश काल की कहानियों के जीवंत दस्तावेज हैं । दिल्ली की सड़कों पर आपको देश-विदेश के हर रूप की झलक मिलती है—हर कोने में एक नई गंध , स्वाद , संवाद और उत्सव ।
क़ुतुब मिनार और हुमायूँ का मकबरा पुराना किला और जामा मस्जिद
क़ुतुब मिनार , 5 मीटर ऊँचा यह ऐतिहासिक स्मारक , दिल्ली में ईस्लामी स्थापत्य की शुरुआत का प्रतीक है । यह मिनार 1199 में क़ुतब-उद-दीन ऐबक द्वारा शुरू और इलग़ल्तमीश द्वारा पूरा हुआ । इसकी चार मंज़िलों पर लाल बलुआ पत्थर और उच्चतम दो मंज़िलों में संगमरमर का प्रयोग इसे शिल्प कौशल का अद्वितीय उदाहरण बनाता है । इसमें कुरान की आयतें और सुंदर ज्यामितीय नक्काशियाँ नज़र आती हैं । वहीं , हुमायूँ का मकबरा 1570 में बनवाया गया मुगल वास्तुकला में बाग-तुम्ब का प्रथम प्रयोग था । इसका आकार और लाल–सफ़ेद संगमरमर की बनावट हमें ताज महल जैसी महान इमारत की झलक देती है । कुल मिलाकर , ये दोनों स्थल दिल्ली के सांस्कृतिक परिदृश्य को शासकीय और स्थापत्य दृष्टि से समृद्ध करते हैं । पुराना किला लाल क़िला , जिसे शाहजहाँ ने 1639–48 में मुख्य आवासीय किले के रूप में बनवाया था , दिल्ली की ऐतिहासिक महत्वपूर्णता का केंद्र रहा है । इसकी दो बड़ी पहाड़ी घरें लाहौरी और दिल्ली गेट्स , मूर्तिमय गैलरी , दीवान-ए-आम और दरबार-ए-खास जैसी सभा-स्थल इसे देखने वालों के लिए मांगता है । किले के अंदर होने वाली प्रकाश और ध्वनि प्रदर्शनाएँ तथा हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री का झंडा फहराना इसे राष्ट्रीय गौरव से जोड़ता है । जामा मस्जिद , शाहजहाँ द्वारा 1650–56 में बनवाई गई , भारत की सबसे बड़ी मस्जिद मानी जाती है । इसमें 25000 लोग एक साथ नमाज़ पढ़ सकते हैं । इसकी विशालोंदिशा से बने दो मिनारों से आप पुरानी दिल्ली का विहंगम दृश्य देख सकते हैं ।
इंडिया गेट , राष्ट्रपति भवन और राजपथ लोटस टेम्पल,जंतर मंतर और चनडी चौक
इंडिया गेट , ब्रिटिश भारत के प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सन्तान भगतों को समर्पित एक युद्ध स्मारक है । 42 मीटर ऊँचा यह गेट शाम को रोशनी में नहा उठता है और आस-पास का विस्तृत lawn लोगों के लिए आकर्षण बन जाता है । वहीं राजपथ राजेशाही बारवाड़े से राष्ट्रपति भवन तक एक औपचारिक मार्ग बनाता है । राष्ट्रपति भवन , जिसे सर एडविन लुटियंस ने अँग्रेज़ों के दौरान बनवाया , विश्व के सबसे बड़े राष्ट्राध्यक्ष आवासों में गिना जाता है । राज्याभिषेक समारोहों , मशहूर 'बंगले गार्डेन शो' जैसे कार्यक्रमों के लिए यह परिसर प्रसिद्ध है । त्योहारों और गणतंत्र दिवस परेड की भव्यता इसे हर साल सैलानियों का केन्द्र बनाती है । लोटस टेम्पल 1986 में बनकर तैयार हुआ और बहाई पूजा का स्थल है , जिसमें 27 मार्बल के “पंखुड़ियाँ” 9 ओरों को बनाती हैं Wikipedia । इसकी सादगी , शांति और सार्वभौमिक स्वागत वातावरण इसे आध्यात्मिक अनुभव के लिए लोकप्रिय बनाते हैं । जंतर मंतर , 1724 में महाराजा जय सिंह द्वितीय द्वारा बनाया गया , खगोलीय गणनाओं के लिए विशाल यंत्रों का समूह है । यह विज्ञान और समय मापन के प्रति पुरानी भारतीय उपलब्धियों का सूचक है । पुरानी दिल्ली का चांदनी चौक बाजार , जो शाहजहाँ की पुत्री जहांआरा द्वारा स्थापित किया गया , खाद्य , खरीदारी और सांस्कृतिक विविधता का केंद्र है । यहाँ रजवाड़ी पराठे , प्रसिद्ध 'पैरांठे वाली गली' , और तेज़ व्यस्त गलियाँ भारत की आबोहवा की पहचान हैं ।
लोधी गार्डन , गुरुद्वारा बंगला साहिब और अग्रसेन की बावली आधुनिक दिल्ली – अक्षरधाम , शीश महल
लोधी गार्डन , दिल्ली के मध्य में 90 एकड़ क्षेत्र में फैले उद्यान , सैय्यद और लोधी वंशकालीन मकबरों के साथ प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है । सुकून और इतिहास के प्रेमियों को यह जगह सुबह की सैर के लिए आदर्श लगती है । गुरुद्वारा बंगला साहिब , 1783 में स्थापित , सिख धर्म का एक प्रमुख और सुंदर स्थल है जहाँ स्वर्ण गुंबद और सरोवर चीखते हैं । यहाँ लंगर निःशुल्क भोजन की सेवा भी निरंतर चलती है । अग्रसेन की बावली , एक 60 मीटर लंबी और 15 मीटर चौड़ी प्राचीन स्टेपवेल है , जंतर मंतर और कनेक्टिविटी के पास , जो पुराने जल संचयन और स्थापत्य का दृश्य देती है आधुनिक दिल्ली की चमक इसमें अक्षरधाम के रूप में देखी जा सकती है , जिसे 2005 में बनाया गया । इसका गुलाबी पत्थर और सफ़ेद संगमरमर , सुंदर मूर्तियाँ , सांस्कृतिक प्रदर्शनी हॉल और शाम का संगीत-स्नान नाव शो इसे एक पूर्ण पर्यटन अनुभव बनाते हैं । ताज़ा समाचार के अनुसार , दिल्ली में शीश महल शालीमार बाग को 70 वर्षों के बाद पुनः खोला गया है शाहजहाँ के जमाने के निर्माण को पारंपरिक तकनीकों से बहाल किया गया है और यह दिन में 11 से रात 9 बजे तक खुलता है । समापन रूप में , दिल्ली एक यात्रा नहीं , बल्कि एक अनुभूति है—यहाँ का प्रत्येक कोना इतिहास बोलता है , स्वाद एक कहानी सुनाता है और वास्तु विविधता दर्शाती है । चाहे आप कला-प्रेमी हों , इतिहासविद् या आध्यात्मिक साधक , राजधानी के ये दस स्थल आपके यात्रा पाठ्यक्रम का ह्रदय बनेंगे । यही कारण है कि दिल्ली न केवल देखने लायक है , बल्कि महसूस करने लायक है ।