ओबीसी समुदाय को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दिया धोखा : हिमंता बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोला है। रांची स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी का 100 दिनों का कार्यकाल ओबीसी समुदाय के साथ एक धोखा है।

Oct 5, 2024 - 04:48
ओबीसी समुदाय को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दिया धोखा : हिमंता बिस्वा सरमा
ओबीसी समुदाय को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दिया धोखा : हिमंता बिस्वा सरमा

रांची : असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोला है। रांची स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी का 100 दिनों का कार्यकाल ओबीसी समुदाय के साथ एक धोखा है।

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान के क्रम में राहुल गांधी ने बार-बार आबादी के हिसाब से हर समुदाय की हिस्सेदारी की वकालत की थी। इस हिसाब से माना जा रहा था कि वे किसी ओबीसी सांसद को नेता प्रतिपक्ष बनाएंगे, लेकिन खुद बन गए।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आबादी के हिसाब से गांधी परिवार का कितना हक बनता है? गांधी परिवार के तीन-तीन सदस्य कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं, जो खुद राहुल गांधी की संकल्पना के खिलाफ है।

उन्होंने राहुल गांधी से इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। सरमा ने असमिया और बांग्ला को शास्त्रीय भाषा घोषित किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार प्रकट किया।

उन्होंने कहा कि अक्सर इस विषय पर विवाद होता था कि असमिया एक मौलिक भाषा है या इसका जन्म बांग्ला से हुआ है। असमिया की मौलिकता को लेकर दशकों तक कई आंदोलन भी चले। लेकिन, गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में असमिया और बांग्ला दोनों भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देकर प्रधानमंत्री मोदी ने इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया।

उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री के तौर पर यह उनके लिए अत्यधिक आनंद का विषय है तथा संपूर्ण असम प्रदेश इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी का सदैव आभारी रहेगा। वर्षों तक असमिया भाषा की मौलिकता को लेकर कई विवाद और आंदोलन चले। लेकिन, पीएम मोदी ने असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा घोषित कर इस विवाद को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। इसके लिए असम की जनता हमेशा पीएम मोदी की आभारी रहेगी।


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