कनाडा सरकार हिंदुओं और सिखों के बीच मनमुटाव पैदा करने की कर रही कोशिश : गौरव वल्लभ

कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर हुए हमले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निंदा की है। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता गौरव वल्लभ ने भी पीएम मोदी के इस बयान का समर्थन करते हुए कनाडा में हुए इस कृत्य की निंदा की है।

Nov 5, 2024 - 22:29
कनाडा सरकार हिंदुओं और सिखों के बीच मनमुटाव पैदा करने की कर रही कोशिश : गौरव वल्लभ
कनाडा सरकार हिंदुओं और सिखों के बीच मनमुटाव पैदा करने की कर रही कोशिश : गौरव वल्लभ

नई दिल्ली : कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर हुए हमले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निंदा की है। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता गौरव वल्लभ ने भी पीएम मोदी के इस बयान का समर्थन करते हुए कनाडा में हुए इस कृत्य की निंदा की है।

उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “कनाडा सरकार हिंदुओं और सिखों के बीच मनमुटाव पैदा करने की कोशिश कर रही है। कनाडा में हिंदू मंदिर पर हमला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी के सांसदों को आज भारत सरकार पर भरोसा नहीं है। उन्हें कनाडा सरकार पर भरोसा है। पंजाब से सांसद धर्मवीर गांधी को भारत सरकार पर भरोसा नहीं है। वह टीवी पर बोल रहे हैं। मुझे नहीं पता कि उनके दिमाग में क्या है। कनाडा सरकार क्या साजिश रच रही है। हम इस देश में सालों से एक साथ रहते आए हैं और हम सब अनंत काल तक एक साथ रहेंगे। जो लोग राजनयिकों को डरा रहे हैं, जो लोग कनाडा में हमारे उच्चायुक्त के अधिकारियों को डरा रहे हैं, जो हमारे मंदिरों पर हमला करवा रहे हैं, उनसे ज्यादा कायर कोई नहीं हो सकता।”

इसके बाद उन्होंने राहुल गांधी पर हमलावर होते हुए कहा, “राहुल गांधी हमेशा कहते हैं कि वह सिर्फ अपनी बहन और अपनी मां की सलाह मानते हैं। मुझे नहीं पता कि वह किसी की सलाह मानते हैं या नहीं। उन्होंने खुद कहा है कि वह हर विषय पर अपनी बहन और मां से सलाह लेते हैं। जब भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, तब उन्होंने कहा कि वहां नाच-गाना हो रहा था, इसलिए उन्होंने सलाह-मशविरा किया होगा या उन्होंने अपने विवेक से कहा होगा। उन्होंने सलाह-मशविरा करने के बाद ही यह कहा होगा कि भारत में सिख पगड़ी भी नहीं पहन सकते। वह विदेशी धरती पर ऐसी देश विरोधी बातें कहते हैं, तो संभव है कि वह अपनी मां या बहन की सलाह मान रहे हों या वह अपने विवेक से ऐसा कर रहे हों। तीनों ही स्थितियों में राहुल गांधी का बयान देश के लिए नुकसानदेह है।

इसके बाद यूपी में उपचुनावों की तारीखों को बढ़ाए जाने पर अखिलेश यादव के तंज पर उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव ऐसे नेता हैं जो संविधान की किताब लेकर घूमते रहते हैं, और भारत के निर्वाचन आयोग के बारे में ऐसी बातें करते हैं। संविधान में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्थान है। जब आप इस तरह की टिप्पणियां करते हैं, तो आप न सिर्फ अपने बड़े नेताओं का मजाक उड़ाते हैं, बल्कि आप संविधान का भी मजाक उड़ाते हैं, जो बाबा साहब अंबेडकर ने हमें दिया। अगर आप संविधान को इज्जत नहीं देंगे, तो इसका मतलब है कि आप देश के कानून और संस्थाओं का सम्मान नहीं कर रहे हैं। अखिलेश यादव, दो दिन और खुश रहिए, लेकिन हार तो आपको चुनाव में निश्चित रूप से होनी ही है, चाहे चुनाव कभी भी हों।”

साथ ही झारखंड में झामुमो के भाजपा पर आरोप पर भी उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी। जिसमें झामुमो ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के नाम पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हेलीकॉप्टर को उड़ान भरने से रोका गया। इस पर हेमंत सोरेन पर हमलावर होते हुए उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी एसपीजी के अधीन होती है। क्या हेमंत सोरेन को यह भी नहीं मालूम। वह मुख्यमंत्री हैं। उन्हें यह तो मालूम होना चाहिए। एसपीजी अपना निर्णय लेता है। इसमें कोई आदमी रोक टोक नहीं लगा सकता। हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बने पांच साल हो गए और उन्हें यह भी नहीं पता कि यह इस तरह की चीज़ें एक व्यवस्था का अनुरूप की जाती है। वह अपनी हार को सामने देखकर अब छुपने के बहाने ढूंढ रहे हैं। हेमंत सोरेन घुसपैठियों के साथ रहोगे तो हारना तो पड़ेगा।”

आगे उन्होंने असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप लगाते हुए कहा था कि हेमंत सोरेन घुसपैठियों के प्रवक्ता बन गए हैं। इसलिए वह यूसीसी का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हिमंता बिस्वा सरमा ने एक दम सही कहा है। हेमंत सोरेन आदिवासियों के लिए कुछ नहीं बोलेंगे, लेकिन घुसपैठियों के लिए खड़े हो जाएंगे। हेमंत सोरेन आपको वोट आदिवासियों ने दिए या घुसपैठियों ने दिए? आपको इस बात से कोई दिक्कत नहीं है कि आदिवासी समाज की जमीन इन घुसपैठियों के हाथों में कैसे पहुंच गई। आदिवासी समाज के प्रति आपके मन में कोई हमदर्दी नहीं है। हां, आप घुसपैठियों के प्रवक्ता हैं। आप घुसपैठियों के नेता हैं। आप उन घुसपैठियों के बारे में सोचिए, जिनका आपने लाल कालीन बिछाकर स्वागत किया, लेकिन मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि 23 तारीख के बाद भगवान बिरसा मुंडा की जमीन पर एक भी घुसपैठिया पैर नहीं रख पाएगा। जो घुसे हैं, उन्हें एक-एक करके बाहर निकाला जाएगा। हमारे आदिवासी भाइयों, दोस्तों और बहनों की जमीन घुसपैठियों को नहीं सौंपी जा सकती। ये घुसपैठिए हमारे आदिवासी समाज की माताओं-बहनों से दूसरी या तीसरी बार शादी करते हैं। उन्हें बहला-फुसलाकर ऐसा नहीं होने दिया जा सकता। घुसपैठियों के अच्छे दिन अब खत्म हो गए हैं।”

साथ ही उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के उस बयान का समर्थन करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक औरंगजेब ने देश को लूटा और दूसरे औरंगजेब ने प्रदेश को लूटा। इस पर उन्होंने कहा, “क्या यह सही नहीं है कि आलमगीर आलम के पीए के घर पर 30 करोड़ से ज्यादा नकद मिले? क्या यह सही नहीं है कि कांग्रेस पार्टी के एक सांसद के घर पर साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये नकद मिले, और मशीनें तक गिनते-गिनते खराब हो गईं, लेकिन फिर भी उनका कैश खत्म नहीं हुआ। यह वही कांग्रेस सांसद हैं, जिनकी बीएमडब्लू गाड़ी हेमंत सोरेन के घर पर पाई गई थी। क्या यह कोई संयोग है कि हेमंत सोरेन के घर पर उनकी गाड़ी मिली और उनके नाम पर साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये का कैश भी मिला?”

उन्होंने कहा, “अब सवाल यह उठता है कि हेमंत सोरेन और इस सांसद के बीच ऐसा क्या रिश्ता है? क्यों इन लोगों के नाम पर इतनी बड़ी रकम मिली? यह पैसा झारखंड के विकास में क्यों नहीं लगा? यह पैसा झारखंड के लोगों के बैंक खातों में क्यों नहीं गया। यह पैसा आखिरकार हेमंत सोरेन सरकार के मंत्रियों और नेताओं के तिजोरियों में कैसे पहुंच गया?

आगे उन्होंने सीजेआई के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें पीएम मोदी द्वारा सीजेआई आवास के दौरे के बाद सीजेआई ने कहा था कि हर चीज को राजनीति के एंगल से नहीं देखना चाहिए। इस पर उन्होंने कहा, “न्यायपालिका में जो सबसे उच्च पद है, वह है सीजेआई (मुख्य न्यायाधीश) और लोकतंत्र में जो चुनी हुई सरकार है, उसकी सर्वोच्च भूमिका प्रधानमंत्री की होती है। जब तक ये दोनों शीर्ष व्यक्ति, यानी प्रधानमंत्री और सीजेआई, एक-दूसरे से नहीं मिलेंगे, तब तक यह कैसे संभव होगा कि देश में सुचारू रूप से न्याय की व्यवस्था बनी रहे और लोगों को न्याय मिल सके? क्या प्रधानमंत्री सीजेआई से नहीं मिल सकते? क्या भारत के राष्ट्रपति सीजेआई से नहीं मिल सकते? क्या भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एक-दूसरे से नहीं मिल सकते?”

उन्होंने कहा, “वास्तव में, विपक्षी दलों को सीजेआई और प्रधानमंत्री के मिलने से कोई समस्या नहीं थी। असली मुद्दा तो यह था कि गणपति पूजन जैसे आयोजनों में नेता कैसे शामिल हो गए। पहले तो परंपरा इफ्तार पार्टियों तक ही सीमित थी, लेकिन अब जब लोग एक-दूसरे के घर माता की चौकी, गणपति पूजा, काली पूजा, दुर्गा पूजा और दीपावली जैसे आयोजनों में जाते हैं, तो विपक्षी दलों को इससे परेशानी होती है।”


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Shivraj Singh Palara This is Shivraj Singh Palara With over 02 years of experience in the field of journalism,Shivraj Singh Palara heads the editorial operations of the Bharat Update as the Executive Writer.