आतंकवाद से निपटने का संयुक्त अभ्यास कर रही है भारत और थाईलैंड की सेना
भारत और थाईलैंड की सेना जंगल और शहरी वातावरण में आतंकवाद से निपटने का अभ्यास कर रही है। यह एक संयुक्त अभ्यास है जो भारत व थाईलैंड की सेना की संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाएगा। इस अभ्यास का उद्देश्य भारत व थाईलैंड के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना है।
नई दिल्ली : भारत और थाईलैंड की सेना जंगल और शहरी वातावरण में आतंकवाद से निपटने का अभ्यास कर रही है। यह एक संयुक्त अभ्यास है जो भारत व थाईलैंड की सेना की संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाएगा। इस अभ्यास का उद्देश्य भारत व थाईलैंड के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना है।
थाईलैंड में किए जाने वाले इन सामरिक अभ्यासों में संयुक्त ऑपरेशन केंद्र का निर्माण, खुफिया और निगरानी केंद्र की स्थापना, ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम का उपयोग, लैंडिंग साइट की सुरक्षा, छोटी टीम का प्रवेश और निकासी, विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन, कॉर्डन और तलाशी अभियान, रूम इंटरवेंशन ड्रिल और अवैध संरचनाओं को नष्ट करना शामिल होंगे।
इस संयुक्त सैन्य अभ्यास मैत्री के 13वें संस्करण में भाग लेने के लिए भारतीय सेना की टुकड़ी थाईलैंड पहुंच चुकी है। यहां यह अभ्यास 1 से 15 जुलाई तक थाईलैंड के टाक प्रांत के फोर्ट वाचिराप्रकन में आयोजित किया जा रहा है। इसी अभ्यास का पिछला संस्करण सितंबर 2019 में भारत के मेघालय के उमरोई में आयोजित किया गया था।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक संयुक्त सैन्य अभ्यास में भाग लेने पहुंची भारतीय सेना की टुकड़ी में 76 कर्मी शामिल हैं। इनमें मुख्य रूप से लद्दाख स्काउट्स की एक बटालियन के साथ-साथ अन्य शाखाओं और सेवाओं के कर्मी भाग ले रहे हैं। वहीं, रॉयल थाईलैंड आर्मी की टुकड़ी में भी 76 कर्मी शामिल हैं, जिनमें मुख्य रूप से 4 डिवीजन की 14 इन्फैंट्री रेजिमेंट की पहली बटालियन से हैं।
मैत्री अभ्यास का उद्देश्य भारत और थाईलैंड के बीच सैन्य सहयोग को प्रोत्साहन देना है। यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय-VII के अंतर्गत जंगल और शहरी वातावरण में संयुक्त उग्रवाद और आतंकवाद से निपटने के लिए अभियानों को अंजाम देने में संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाएगा। यह अभ्यास उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजना और सामरिक अभ्यास पर केंद्रित होगा।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि मैत्री अभ्यास से दोनों पक्षों को संयुक्त अभियानों के संचालन के लिए रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में अपने सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा करने का अवसर मिलेगा। यह अभ्यास दोनों देशों के सैनिकों के बीच अंतर-संचालन और आपसी सौहार्द विकसित करने में सहायक होगा।
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