मुख्यमंत्री बदलने पर आवास का आवंटन होना चाहिए था : आलोक सहगल 

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास का मुद्दा गरमाया हुआ है। दरअसल, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने बुधवार को 'मुख्यमंत्री का सरकारी बंगला' सील कर दिया था। दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव आलोक सहगल ने आईएएनएस से खास बातचीत में बताया कि जरूरी नहीं कि नए सीएम को पुराने सीएम का ही बंगला सरकारी आवास के रूप में दिया जाएगा।आलोक सहगल ने कहा कि दिल्ली में उपराज्यपाल के राज निवास के अलावा किसी के पास पदनाम से चिह्नित घर नहीं है। यदि एक आदमी जाता है, तो जरूरी नहीं कि उसका आवास उसके पद पर आने वाले दूसरे को दे दिया जाए। इ

Oct 11, 2024 - 04:41
मुख्यमंत्री बदलने पर आवास का आवंटन होना चाहिए था : आलोक सहगल 
मुख्यमंत्री बदलने पर आवास का आवंटन होना चाहिए था : आलोक सहगल 

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास का मुद्दा गरमाया हुआ है। दरअसल, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने बुधवार को 'मुख्यमंत्री का सरकारी बंगला' सील कर दिया था। दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव आलोक सहगल ने आईएएनएस से खास बातचीत में बताया कि जरूरी नहीं कि नए सीएम को पुराने सीएम का ही बंगला सरकारी आवास के रूप में दिया जाएगा।

आलोक सहगल ने कहा कि दिल्ली में उपराज्यपाल के राज निवास के अलावा किसी के पास पदनाम से चिह्नित घर नहीं है। यदि एक आदमी जाता है, तो जरूरी नहीं कि उसका आवास उसके पद पर आने वाले दूसरे को दे दिया जाए। इतने सारे मंत्री हैं, अगर उनमें बदलाव होता है तो जरूरी नहीं है कि जो दूसरा मंत्री उसकी जगह पर जाएगा, उसको भी वही घर मिलेगा। इसमें अलॉटमेंट करनी पड़ती है।

उन्होंने कहा कि जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने थे, तो उनके पास कोई कोठी नहीं थी। जो उनको मिला, वह पहले मुख्य सचिव का घर होता था, लेकिन उस समय खाली होने कारण केजरीवाल को दे दिया गया था। अरविंद केजरीवाल से पहले दिल्ली के जितने भी मुख्यमंत्री थे, जैसे शीला दीक्षित, पंडारा रोड स्थित केंद्र सरकार के आवास पर रहती थीं। उनसे पहले मदनलाल खुराना को अलीगढ़ रोड पर मेयर का घर अलॉट हुआ था।

उन्होंने आगे कहा कि अगर एक मुख्यमंत्री गया और दूसरा मुख्यमंत्री आया तो आवास का अलॉटमेंट तो होना ही चाहिए था, इसमें ऑर्डर होने चाहिए थे, भले वह मुख्यमंत्री का ही ऑर्डर क्यों न हो? ऐसे में ऑर्डर पास करना होता, इसके बाद नीचे से फाइल आएगी, नोटिंग आएगी या नहीं भी आएगी तो सरकार का ऑर्डर इश्यू होगा। यह इस तरह नहीं होता है कि मंत्री ने फाइल पर साइन कर दिया तो हो गया। इसमे कुछ गवर्नमेंट आर्डर एक्ट है, जिनके मुताबिक मामले से जुड़े कुछ सेक्रेटरी, उसको चेक करते हैं। अगर, ऐसा कुछ ऑर्डर होता तो आतिशी का वहां जाना पूरी तरह सही होता।

उन्होंने आगे कहा कि अभी यह भी साफ नहीं है कि केजीरवाल जिस कोठी में थे, उसको उन्होंने छोड़ा है कि नहीं? अगर नहीं छोड़ा है, तो फिर दूसरी कोठी देना वैसे भी गलत है। एक ही समय पर किसी के पास दो सरकारी निवास होना नियम के बिल्कुल खिलाफ है।

अगर सीएम केजरीवाल ने आवास छोड़ दिया था और आतिशी वहां पर आई थीं और पीए ने चाबी दे दी और आतिशी गुड फेथ में चली गईं, तो इसमें कोई बड़ी कानूनी अड़चन नहीं है। पर शायद इसमें दिक्कत यह है कि किसी टाइम किसी सेक्रेटरी ने आदेश दिया था कि अभी विजिनर इन्क्वायरी चल रही है और जब तक यह पूरी नहीं हो जाती है, तब तक आवास नहीं दिया जाए। शायद यही एक वजह रही होगी, जिससे मामला बढ़ गया। जो भी है, आतिशी का वहां पर जाना गलत था।


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IANS डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ भारत अपडेट टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.