संविधान का किसी किताब की तरह दिखावा नहीं, उसका सम्मान करना चाहिए : उपराष्ट्रपति धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को बिना किसी का नाम लिए कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति विदेश से लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं और आरक्षण समाप्त करने की बात कर रहे हैं।
नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को बिना किसी का नाम लिए कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति विदेश से लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं और आरक्षण समाप्त करने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान का किसी किताब की तरह दिखावा नहीं, बल्कि सम्मान किया जाना चाहिए। उनका इशारा कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की तरफ था।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “संविधान का किसी किताब की तरह दिखावा नहीं किया जा सकता। संविधान का सम्मान करना चाहिए। संविधान को पढ़ना और समझना चाहिए। संविधान को महज किताब की तरह प्रस्तुत करने और उसका प्रदर्शन करने को कम से कम कोई भी सभ्य, जानकार एवं संविधान के प्रति समर्पित आस्था रखने वाला और संविधान के सार को मानने वाला व्यक्ति स्वीकार नहीं करेगा।”
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि संविधान के तहत हमें मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, वहीं मौलिक कर्तव्य भी शामिल हैं। सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है संविधान का पालन करना और राष्ट्र ध्वज तथा राष्ट्रगान का सम्मान करना। स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालन करें और देश की संप्रभुता तथा अखंडता की रक्षा करें। उन्होंने कहा, "यह कितनी विडंबना है कि कुछ विदेश यात्राओं का एकमात्र उद्देश्य इन कर्तव्यों की उपेक्षा करना है। भारतीय संविधान की भावना को सार्वजनिक रूप से तार-तार करना है।"
उपराष्ट्रपति रविवार को एलफिंस्टन टेक्निकल हाई स्कूल एंड जूनियर कॉलेज में संविधान मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए धनखड़ ने कहा कि यह चिंता और गहन सोच-विचार का विषय है। आज संवैधानिक पद पर बैठा एक व्यक्ति विदेश में कहता है कि आरक्षण समाप्त कर देना चाहिए।
धनखड़ ने कहा, "सबसे बड़ी उपाधि भारत रत्न, बाबा साहेब अंबेडकर को क्यों नहीं दिया गया, यह 31 मार्च 1990 को दिया गया। उन्हें यह सम्मान पहले क्यों नहीं दिया गया? बाबा साहेब भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में बहुत प्रसिद्ध थे। बाबा साहेब की मानसिकता से जुड़ा एक और महत्वपूर्ण मुद्दा 'मंडल आयोग' की रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट के पेश होने के बाद, अगले 10 साल तक लागू नहीं किया गया। उस दशक के दौरान देश में दो प्रधानमंत्री हुए, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी। लेकिन, इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।"
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