मरीज को कंधे पर लादकर अस्पताल ले गए लोग, मूलभूत सुविधाओं से वंचित हिमाचल के उद्योग मंत्री का गांव
सुदूरवर्ती क्षेत्रों को सड़क से जोड़ने का दावा करने वाली सरकार की हकीकत से रूबरू होना हो तो हिमाचल प्रदेश के टीकर गांव चले आइए। यह गांव आजादी के 75 साल बाद भी सड़क से वंचित है। देश अब 4जी से 5जी की ओर बढ़ चुका है, लेकिन ग्रामीण इलाकों के काम अभी भी कछुए की गति से चल रहे हैं।हमारे देश में अभी भी कई ऐसे गांव हैं जहां सड़क नहीं होने की वजह से बीमार लोगों को कंधे पर उठाकर पैदल ही अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। ऐसी ही एक तस्वीर हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के विधानसभा क्षेत्र के टीकर गांव से सामने आई है।यहां शोभाराम नामक 65 वर्षीय एक बुजुर्ग को इलाज के लिए लोग कंधे पर उठाकर ले जाते हुए नजर आए।सड़क के अलावा भी इस गांव में कई मूलभूत सुविधाओं की कमी है जिसके चलते ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मूलभूत सुविधाओं के लिए यहां के ग्रामीणों ने कई बार मांग भी उठाई है। लेकिन, किसी सरकार ने इसकी मांगें पूरी नहीं की। चुनाव के वक्त इन ग्रामीणों को तमाम राजनीतिक दलों से सिर्फ और सिर्फ आश्वासन मिलता है।टीकर गांव के रहने वाले नाथू राम बताते हैं कि प्रसव के दौरान यहां की महिलाओं को उठाकर लाना पड़ता है। इस दौरान कई महिलाओं ने रास्ते में ही बच्चों को जन्म दिया है। इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के क्रम में कई लोग दम तोड़ चुके है।--आईएएनएसपीएसके/एसकेपी

शिमला : सुदूरवर्ती क्षेत्रों को सड़क से जोड़ने का दावा करने वाली सरकार की हकीकत से रूबरू होना हो तो हिमाचल प्रदेश के टीकर गांव चले आइए। यह गांव आजादी के 75 साल बाद भी सड़क से वंचित है। देश अब 4जी से 5जी की ओर बढ़ चुका है, लेकिन ग्रामीण इलाकों के काम अभी भी कछुए की गति से चल रहे हैं।
हमारे देश में अभी भी कई ऐसे गांव हैं जहां सड़क नहीं होने की वजह से बीमार लोगों को कंधे पर उठाकर पैदल ही अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। ऐसी ही एक तस्वीर हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के विधानसभा क्षेत्र के टीकर गांव से सामने आई है।
यहां शोभाराम नामक 65 वर्षीय एक बुजुर्ग को इलाज के लिए लोग कंधे पर उठाकर ले जाते हुए नजर आए।
सड़क के अलावा भी इस गांव में कई मूलभूत सुविधाओं की कमी है जिसके चलते ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मूलभूत सुविधाओं के लिए यहां के ग्रामीणों ने कई बार मांग भी उठाई है। लेकिन, किसी सरकार ने इसकी मांगें पूरी नहीं की। चुनाव के वक्त इन ग्रामीणों को तमाम राजनीतिक दलों से सिर्फ और सिर्फ आश्वासन मिलता है।
टीकर गांव के रहने वाले नाथू राम बताते हैं कि प्रसव के दौरान यहां की महिलाओं को उठाकर लाना पड़ता है। इस दौरान कई महिलाओं ने रास्ते में ही बच्चों को जन्म दिया है। इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के क्रम में कई लोग दम तोड़ चुके है।
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