यूपी में गंगा उफान पर: वाराणसी में बाढ़ जैसे हालात | UP Flood Alert 2025
The Ganga River is swelling rapidly across Uttar Pradesh, creating flood-like conditions in Varanasi. Authorities are on high alert as water levels rise. Get latest updates on UP flood news.

मानसून की बारिश और गंगा का उफान
उत्तर भारत में मानसूनी बारिश की लगातार घोषणा हुई है, जिसके चलते गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। वाराणसी समेत इलाहाबाद, संभल और बलिया जिले में नदी अपने खतरे के निशान को पार कर चली है। लम्बे समय से हो रही तेज बरसात एक ओर जहां जीवन को सहूलियत से भरा रही है, वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक आपदा का रूप धारण कर चुकी है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जिला प्रशासन तथा आपदा विभाग की आपात स्थिति चेतावनी जारी की गई है, और राहत व्यवस्थाओं को तत्काल सक्रिय कर दिया गया है ।
वाराणसी सब डूब गया प्रशासन की सतर्कता
वाराणसी में गंगा का उफान विशेष चिंता का विषय है। केंद्रीय जल आयोग के मध्य गंगा मंडल के आंकड़ों के अनुसार, केवल 24 घंटे में वाराणसी में जलस्तर में 0.7 मीटर की बढ़ोतरी हुई है। इस कारण सभी 84 घाट जलमग्न हो चुके हैं – इसमें मणिकर्णिका, डैशाश्वमेध, नामो घाट आदि प्रमुख घाट शामिल हैं । नाव संचालन, रोजमर्रा के आरती व सामाजिक कार्यक्रम बंद हो गए हैं, जिससे जनता एवं तीर्थयात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । वाराणसी प्रशासन ने फ़्लड कंट्रोल पोस्ट सक्रिय किए हैं, और घाटों के पास जल प्रहरी, NDRF व SDRF की तैनाती कर दी है। 46 राहत शिविरों की स्थापना की गई है, जहां प्रभावित लोगों को भोजन, शरण, प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है । संभल प्रशासन ने भी 16 फ्रेसपोस्ट व 13 आश्रय गृह स्थापित किए हैं । इसके अलावा, प्रयागराज समेत अन्य नदी-तटवर्ती क्षेत्रों में भी अलर्ट जारी किया गया है।
प्रभावित जनजीवन और धार्मिक गतिविधियाँ इलाहाबाद
नदी के बढ़ते जलस्तर ने वाराणसी में धार्मिक रस्मों को रोक दिया है। नाव सेवा बंद होने के कारण गंगा आरती अवरुद्ध हो गई है। घाटों पर स्नान व पूजा असंभव हो गए हैं, जिससे स्थानीय धर्म-कर्म प्रभावित हो रहा है । साथ ही, नाविकों एवं घाटों पर आश्रित छोटे व्यवसायों की आय में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। सावन की शुरुआत से पहले ही घाट डूबे होने का आर्थिक नुकसान बड़ा हुआ है। प्रयागराज (इलाहाबाद) में भी गंगा व यमुना का जलस्तर कई निचले इलाकों तक पहुंच गया है। फाफ़ामऊ व चट्नाग में जलस्तर 10–17 सेमी बढ़ गया है, शहर के कुछ इलाकों जैसे बदे हनुमान मंदिर में पानी घुस गया। प्रशासन ने 88 राहत केंद्र व 44 आपदा सहायिकाएं (Apda Sakhis) तैनात कर दी हैं । चेतावनी के बावजूद स्थिति स्थिर दिखती है लेकिन उम्मीद इस बात की है कि कड़ी सतर्कता बनी रहे।
बलिया, गाज़ियाबाद और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों का हाल मौसम विभाग की चेतावनी और आगे की दिशा
बलिया में गंगा का जलस्तर खतरे की रेखा को पार कर 58.12 मीटर तक पहुँच चुका है – 57.61 मीटर खतरे की लाइन थी। फिलहाल फसल वाले खेतों में पानी पहुंच चुका है लेकिन आवासीय इलाकों तक अभी पानी का विस्तार नहीं हुआ है। गाज़ियाबाद, मिर्जापुर व अन्य इलाकों में भी सतर्कता बनी हुई है। कटान रोकने के लिए अधिकारियों ने क्षेत्र का निरीक्षण शुरू कर दिया है। IMD ने उत्तर प्रदेश में येलो अलर्ट जारी किया है – तेज बारिश, गर्जना व आकाशीय बिजली संभावित है । अगले 24–48 घंटों के दौरान जानलेवा बारिश की चेतावनी के मद्देनज़र प्रशासन ने अलर्ट स्तर ऊँचा कर दिया है। लोगों को अविकसित घाटों के पास जाने से मना किया गया है, नाव संचालन रुका हुआ है और बचाव टीमों को लगातार अलर्ट मोड पर तैनात रखा गया है।
दीर्घकालीन प्रभाव और तैयारी इस मौसमी परिस्थिति में वाराणसी जैसा तीर्थ नगरी पहले ही नागरिक, पर्यटन, धार्मिक सेवाओं से जुड़ी अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा है। सावन की तैयारियाँ अब प्रभावित होंगी। घाट किनारे बसे छोटे दुकानदार, पुजारियों व नौका सेवकों की आय पर दीर्घकालिक असर पड़ेगा। प्रशासन के सामने भविष्य की चुनौतियाँ – कटान रोकना, फसल सुरक्षा, सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करना, आदि – खड़े हो गए हैं। साथ ही मानसून की अवधि में सतत निगरानी, आपदा प्रबंधन व स्थानीय टीमों की तैयारियों को और भी सुदृढ़ करना आवश्यक हो गया है।
निष्कर्ष
गत कुछ दिनों की मानसूनी बारिश ने गंगा को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उफान पर ला दिया है। विशेष रूप से वाराणसी में 84 घाटों का डूब जाना, नाव सेवाओं का ठप हो जाना, धार्मिक गतिविधियों की रुकावट, आर्थिक गतिविधियों पर असर – ये सभी संकेत हैं कि स्थानीय प्रशासन को तत्काल राहत, बचाव व दीर्घकालीन तैयारियों पर अपना पूरा फोकस रखना होगा। साथ ही लोगों को सतर्कता बरतकर निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। अगले दो–तीन दिनों की स्थिति राज्य की मौसमी रिपोर्ट पर निर्भर करेगी। इस समय में सटीक पूर्वानुमान व प्रशासनिक मुस्तैदी ही आपदा प्रबंधन के लिए निर्णायक भूमिका निभाएगी। उम्मीद है कि जल्दी ही बारिश थमती है और गंगा का जलस्तर सामान्य पर लौट आता है।