दिल्ली हाई कोर्ट: व्यक्तिगत ऋण और ईएमआई पति की पत्नी की मेंटेनेंस जिम्मेदारी से ऊपर नहीं
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि व्यक्तिगत ऋण और ईएमआई जैसी वित्तीय जिम्मेदारियां पति की पत्नी को मेंटेन करने की जिम्मेदारी से ऊपर नहीं हो सकतीं।

दिल्ली हाई कोर्ट: व्यक्तिगत ऋण और ईएमआई पति की पत्नी की मेंटेनेंस जिम्मेदारी से ऊपर नहीं
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि व्यक्तिगत ऋण और ईएमआई जैसी वित्तीय जिम्मेदारियां पति की पत्नी को मेंटेन करने की जिम्मेदारी से ऊपर नहीं हो सकतीं। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पति की पत्नी के प्रति मेंटेनेंस की जिम्मेदारी प्राथमिक है और इसे अन्य वित्तीय दायित्वों से प्रभावित नहीं किया जा सकता।
क्या है मामला?
इस मामले में एक महिला ने अपने पति से मेंटेनेंस की मांग की थी, जबकि उसके पति का कहना था कि वह पहले से ही व्यक्तिगत ऋण की ईएमआई चुका रहा है, जिससे उसकी वित्तीय स्थिति प्रभावित हो रही है। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि व्यक्तिगत ऋण और ईएमआई जैसी वित्तीय जिम्मेदारियां पति की पत्नी की मेंटेनेंस जिम्मेदारी से ऊपर नहीं हो सकतीं।
कोर्ट का निर्णय
कोर्ट ने कहा कि मेंटेनेंस की जिम्मेदारी पति की प्राथमिक जिम्मेदारी है और इसे अन्य वित्तीय दायित्वों से प्रभावित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यक्तिगत ऋण और ईएमआई जैसी वित्तीय जिम्मेदारियां पति की पत्नी की मेंटेनेंस जिम्मेदारी से ऊपर नहीं हो सकतीं।
कानूनी दृष्टिकोण
इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय कानून में पति की पत्नी के प्रति मेंटेनेंस की जिम्मेदारी प्राथमिक है और इसे अन्य वित्तीय दायित्वों से प्रभावित नहीं किया जा सकता। यह निर्णय महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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