नए आपराधिक कानून: न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव, ब्रिटिश काल के कानूनों का आज से अंत
आज से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत हो रही है। ब्रिटिश काल के कानूनों का अंत हो चुका है और तीन नए आपराधिक कानून आज से देशभर में लागू हो गए हैं। इन नए कानूनों के नाम हैं: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम।
नई दिल्ली : आज से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत हो रही है। ब्रिटिश काल के कानूनों का अंत हो चुका है और तीन नए आपराधिक कानून आज से देशभर में लागू हो गए हैं। इन नए कानूनों के नाम हैं: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम।
इन नए कानूनों के लागू होने से देश में पुलिस, मुकदमा, कोर्ट-कचहरी और न्याय प्रक्रिया की तस्वीर बदल जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये नए आपराधिक कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे, जबकि ब्रिटिश शासनकाल के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई थी।
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मुख्य बदलाव और प्रावधान:
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एफआईआर और शिकायत दर्ज करने में आसानी: अब कोई भी व्यक्ति बिना पुलिस थाना जाए, इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। 'जीरो एफआईआर' के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो।
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त्वरित न्याय: आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा। पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।
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महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा: महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है। किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है। किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान किया गया है।
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इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का उपयोग: पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करना, एसएमएस के जरिये समन भेजना और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे।
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गिरफ्तारी के प्रावधान: गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है।
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पीड़ितों के अधिकार: पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा। उन्हें सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जाएगा।
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न्याय में पारदर्शिता: आरोपी और पीड़ित दोनों को अब प्राथमिकी, पुलिस रिपोर्ट, आरोपपत्र, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर पाने का अधिकार होगा।
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गवाह सुरक्षा: सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना अनिवार्य होगा ताकि गवाहों की सुरक्षा व सहयोग सुनिश्चित किया जा सके।
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लैंगिकता की परिभाषा में ट्रांसजेंडर शामिल: इससे समावेशिता और समानता को बढ़ावा मिलेगा।
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विशेष प्रावधान: महिलाओं, पंद्रह वर्ष की आयु से कम उम्र के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों तथा दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी।
नए आपराधिक कानूनों के साथ, न्याय प्रणाली अधिक त्वरित, पारदर्शी और सुलभ होगी। इससे आम लोगों की जिंदगी पर सकारात्मक असर पड़ेगा और उन्हें न्याय पाने में आसानी होगी।
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