अमेरिका की रूस को टैरिफ की धमकी: भारत और चीन पर भी पड़ सकता है असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है यदि व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध नहीं रोका। नाटो भी रूस के व्यापारिक साझेदारों को सेकेंडरी सैंक्शंस की चेतावनी दे रहा है। भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों के लिए यह स्थिति आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद अहम हो सकती है। जानिए इसका वैश्विक व्यापार पर क्या असर होगा।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प बीते कई दिनों से सभी देशों पर अपनी मनमर्जी से टैरिफ लगा रहे हैं. बीते दिनों अमेरिका ने कई देशों पर टैरिफ लगाने की शुरुआत की थी. अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस पर भी टैरिफ लगाने की धमकी दे डाली है. अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना है कि अगर व्लादिमीर पुतिन ने सितंबर की शुरुआत तक यूक्रेन के खिलाफ अपना युद्ध बंद नहीं किया तो रूस के व्यापारिक साझेदार देशों पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगा दिया जाएगा. खास बात ये है कि ऐसी ही धमकी नाटो की तरफ से रूस को मिल रही है. नाटो के महासचिव मार्क रुटे ने बुधवार, 15 जुलाई को चेतावनी दी कि "अगर ब्राजील, चीन और भारत जैसे देश रूस के साथ अपना व्यापार करना जारी रखते हैं तो उन पर भी आर्थिक प्रतिबंध (सेकेंडरी सैंक्शंस के रूप में) लगाए जा सकते हैं."
रूस पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाएगा अमेरिका
अमेरिका की तरफ से सभी देशों पर टैरिफ लगाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसी क्रम में अमेरिका हर दिन कोई न कोई नयी लिस्ट जारी कर रहा है. अपने मित्र देशों पर टैरिफ लगाने के बाद अब अमेरिका ने रूस पर टैरिफ हमला बोला है. अमेरिका ने साफ़ कर दिया है कि वो रूस पर कोई रहम नहीं करेगा. इसके पीछे वजह है रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध. अमेरिका ने धमकी देते हुए कहा कि "अगर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सितंबर की शुरुआत तक यूक्रेन के खिलाफ अपना युद्ध बंद नहीं किया तो रूस के व्यापारिक साझेदार देशों पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगा दिया जाएगा." नाटो और अमेरिका का रूस को इस तरह की चेतावनी देना भारत के लिए भी कई मायनों में खतरनाक माना जा रहा है.
भारत पर पड़ेगा 'टैरिफ वॉर' का प्रभाव
अमेरिका की तरफ से सभी देशों पर लगाए जा रहे टैरिफ का असर दिखने लगा है. हालाँकि अमेरिका ने अभी तक भारत पर कोई टैरिफ लगाने का ऐलान नहीं किया है. इसकी वजह है दोनों देशों के बीच चल रहा व्यापारिक समझौता. लेकिन भारत का व्यापार उन देशों के साथ भी होता है जिनपर अमेरिका टैरिफ लगा चुका है. ऐसे में इसका असर भारत के अन्य देशों के साथ होने वाले व्यापारिक समझौतों पर पड़ेगा. नाटो और अमेरिका की रूस के खिलाफ की गयी घोषणा का असर बड़े पैमाने पर देखा जा सकता है. ये इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत, चीन से लेकर तुर्की जैसे देश रूस के साथ कितना व्यापार करते हैं. खास बात यह है कि नाटो में अधिकतर बड़े यूरोपीय देश शामिल हैं और यूरोपीय यूनियन खुद रूस से बड़े पैमाने पर व्यापार करता है.
भारत के व्यापारिक समझौतों पर आयी बड़ी रिपोर्ट
इकोनॉमिक थिंक टैंक ब्रुएगेल के अनुसार, भारत रूस का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है. इस साल मई तक दोनों देश के बीच कुल 68 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. भारत रूस से मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन (तेल-गैस) खरीदता है. रूस से होने वाले कुल निर्यात में जीवाश्म ईंधन का हिस्सा 90 प्रतिशत है. भारत दुनिया में रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है. वहीं रूस को भारत मूलतः परमाणु रिएक्टर, मशीनरी और फार्मास्युटिकल कंपाउंड बेचता है.
चीन और रूस के बीच इस टैरिफ का होगा क्या असर?
ब्रुएगेल थिंक टैंक के अनुसार, चीन अब तक रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. दोनों के बीच वार्षिक आयात और निर्यात लगभग 240 बिलियन डॉलर का है. ब्रुएगेल के अनुसार, रूस के व्यापार प्रवाह में चीन की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने मंगलवार को ट्रंप की धमकी का जवाब देते हुए कहा कि यूक्रेन पर उनके देश की स्थिति हमेशा "स्पष्ट और सुसंगत रही है - हमने हमेशा माना है कि बातचीत ही यूक्रेन संकट का एकमात्र व्यवहार्य समाधान है". उन्होंने कहा, "चीन सभी अवैध एकतरफा प्रतिबंधों और दीर्घकालिक अधिकार क्षेत्र का दृढ़ता से विरोध करता है". उन्होंने कहा: "टैरिफ युद्ध में कोई विजेता नहीं होता है."