Eid ul-Adha 2025: देशभर से आईं बकरीद की खूबसूरत तस्वीरें, जानिए कुर्बानी की परंपरा का इतिहास

Eid ul-Adha 2025: बकरीद के अवसर पर देशभर से आईं रंगीन तस्वीरें। जानिए इस्लाम धर्म में कुर्बानी का महत्व, इसकी परंपरा और इस त्योहार को मनाने का सही तरीका। पढ़ें पूरी जानकारी।

Jun 7, 2025 - 15:15
Eid ul-Adha 2025: देशभर से आईं बकरीद की खूबसूरत तस्वीरें, जानिए कुर्बानी की परंपरा का इतिहास
Eid ul Adha 2025

Eid ul-Adha 2025: बकरीद के मौके पर देश भर से आईं खूबसूरत तस्वीरें, इस दिन

क्यों दी जाती है कुर्बानी?

Eid ul-Adha 2025: देशभर में आज ईदउलअजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है। इस मौके पर उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और अन्य सभी राज्यों से हर्षोल्लास से भरी तस्वीरें सामने आईं। मुस्लिम संप्रदाय में ये त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है और इसे कुर्बानी के त्योहार के रूप में सभी मुस्लिम भाई बहन मनाते हैं। इस्लाम धर्म में ये त्योहार त्याग और इंसानियत के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। बकरीद अपने दूसरे नामों ईद-उल-अजहा, ईद उल जुहा, अथवा ईद उल बकरा के नाम से भी लोकप्रिय है।

 कब मनाई जाती है बकरीद?

इस्लाम धर्म में ईद का पाक त्योहार मनाने का दिन चांद को देखकर तय किया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ज़ुलहिज्जा की 10वीं तारीख को ईद-उल-अजहा मनाने का रिवाज़ है, और ये मौका रमजान खत्म होने के 70 दिन बाद आता है. 

 कैसे मनाया जाता है त्योहार?

बकरीद का त्योहार भारत समेत विश्व के अन्य कई देशों में भी मनाया जाता है। खुशियों और मेलजोल से भरे ईद-उल-अजहा त्योहार की शुरुआत सुबह की नमाज अदा करने के साथ की जाती है। इस दिन बच्चे काफी खुश रहते हैं। बड़ेबूढ़े सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयों और तोहफों से लोगों का स्वागत करते हैं। इस दिन सभी एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। इस्लाम धर्म में बकरीद पर गरीबों को दान देने का रिवाज़ भी है।भारत के अलावा ये त्योहार पाकिस्तान, बांग्लादेश और मलेशिया जैसे देशों में एक ही दिन मनाया जाता है। सऊदी अरब में बकरीद भारत से एक दिन पहले मनाई जाती है।

 क्यों मनाते हैं बकरीद?

 ईद-उल-अजहा को मनाने की वजह इस्लाम में हज़रत इब्राहीम से जुड़ी है। इस कहानी के मुताबिक, वे अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे हज़रत इस्माईल की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे. लेकिन, इसके बजाय अल्लाह ने उन्हें कुर्बानी के लिए एक जानवर दिया. इसलिए, बकरीद पर एक बकरी, भेड़ या किसी दूसरे जानवर की कुर्बानी देने का रिवाज़ है. बकरीद के मौके पर सबसे अहम रस्मकुर्बानीहोती है. इस कुर्बानी का मकसद खुदा तक संदेश पहुंचाना होता है। संदेश ये होता है कि इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग अल्लाह की राह में कुछ भी कुर्बान करने का जज्बा रखते हैं।

 क्यों है जुबानी देने का रिवाज़?

ईद-उल-अजहा के दिन इस्लाम धर्म के लोग किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं. हज़रत इब्राहीम की याद में मनाए जाने वाले इस त्योहार में कुछ नियम इस्लाम के अनुसार निभाए जाते हैं।

     इस्लाम में सिर्फ हलाल के तरीके से कमाए हुए पैसों से ही कुर्बानी जायज मानी जाती है।

     कुर्बानी का गोश्त केवल परिवार अकेले ही नहीं रख सकता है। इसके तीन हिस्से होते हैं।

     सबसे पहला हिस्सा गरीबों के लिए निकाला जाता है। दूसरे हिस्से को दोस्त और रिश्तेदारों में बांटा जाता है।

     आखिरी और तीसरे हिस्से से परिवार ये त्योहार पूरा करता है।

 

कैसे जानवर की कुर्बानी की जाती है?

इस्लाम धर्म में कुर्बानी देने के कुछ नियम हैं जिसे इस्लाम धर्म को मानने वाले सख्ती से पालन करते हैं। हर तरह के जानवर की कुर्बानी नहीं दी जाती है। किसी ऐसे जानवरों की कुर्बानी ही जायज है जो जानवर सेहतमंद होते हैं. किसी भी बीमार जानवर या तकलीफ से जूझ रहे जानवर की कुर्बानी से अल्लाह राजी नहीं होता है, ऐसा इस्लाम में माना जाता है।

 


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