इंसुलिन रेजिस्टेंस से महिलाओं में समय से पहले मौत की आशंका : शोध
एक शोध में पता चला है कि इंसुलिन रेजिस्टेंस से विभिन्न तरह की 31 बीमारियां हो सकती हैं, जिसके कारण महिलाओं में जल्दी मौत का खतरा बना रहता है।
नई दिल्ली : एक शोध में पता चला है कि इंसुलिन रेजिस्टेंस से विभिन्न तरह की 31 बीमारियां हो सकती हैं, जिसके कारण महिलाओं में जल्दी मौत का खतरा बना रहता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस को पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, मगर ऐसा माना जाता है कि अधिक वजन और कोई शारीरिक गतिविधि न होना इसकी वजह हैं।
इस पर जानकारी जुटाने के लिए चीन के शांडोंग प्रांतीय अस्पताल में एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के जिंग वू और उनके सहयोगियों ने यूके बायो बैंक के डेटा का विश्लेषण किया, जिसमें ब्रिटेन के पांच लाख से अधिक लोगों द्वारा उपलब्ध कराई गई आनुवांशिक चिकित्सा और जीवनशैली संबंधी जानकारी शामिल है।
प्रत्येक प्रतिभागी के रक्त में शक्कर और वसा (कोलेस्ट्रॉल सहित) के स्तर को उनके टीवाईजी इंडेक्स की गणना के लिए उपयोग किया गया था, जिससे पता चलता है कि शरीर में कितना इंसुलिन रेजिस्टेंस है।
टीवाईजी इंडेक्स स्कोर 5.87 से 12.46 यूनिट तक थे, जिसका औसत स्कोर 8.71 यूनिट था।
डायबिटोलोजिया पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि अध्ययन के आरंभ में जिन प्रतिभागियों का टीवाईजी स्कोर अधिक था और इसलिए उनमें इंसुलिन रेजिस्टेंस का स्तर ज्यादा था, वे आमतौर पर पुरुष, वृद्ध, कम सक्रिय, धूम्रपान करने वाले और मोटापे से ग्रस्त थे।
प्रतिभागियों के स्वास्थ्य पर 13 साल तक नजर रखने वाले शोधकर्ताओं ने 31 बीमारियों के साथ इंसुलिन रेजिस्टेंस का संबंध स्थापित किया।
इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से 26 बीमारियों के विकसित होने का उच्च जोखिम पाया गया, जिसमें नींद संबंधी विकार, जीवाणु संक्रमण और पैंक्रियाटाइटिस शामिल हैं।
महिलाओं में, इंसुलिन रेजिस्टेंस में हर एक यूनिट की वृद्धि के साथ अध्ययन अवधि के दौरान मरने का खतरा 11 प्रतिशत अधिक था।
इससे पता चला कि महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर से जुड़ा है। पुरुषों के लिए कोई संबंध नहीं पाया गया।
शोध के अनुसार, इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण नींद की समस्या होने का खतरा 18 प्रतिशत, बैक्टीरियल संक्रमण होने का आठ प्रतिशत और पैंक्रियाटाइटिस होने का खतरा 31 प्रतिशत बढ़ जाता है।''
वू ने कहा, "हमने दिखाया है कि इंसुलिन रेजिस्टेंस की डिग्री का आकलन करके उन व्यक्तियों की पहचान संभव है जो मोटापे, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गठिया, साइटिका और कुछ अन्य बीमारियों के जोखिम से जूझ रहे हैं।''
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