मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना: देशी नस्ल की गायों के लिए अनुदान योजना
उत्तर प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना का उद्देश्य राज्य के बाहर से देशी उन्नत नस्ल की गायों (गिर, साहीवाल, हरियाणा, थारपारकर) को खरीदकर पशुपालन को बढ़ावा देना है। प्रति लाभार्थी 2 गायों की इकाई पर 40% या अधिकतम ₹80,000 तक का अनुदान दिया जाएगा। आवेदन पत्र भरकर मुख्य विकास अधिकारी या मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को जमा किया जाता है।

मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना Mukhyamantri Svadeshi Gau Samvardhan Yojana
"नंद बाबा दुग्ध मिशन" के अंतर्गत "मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना" का उद्देश्य राज्य के बाहर से देशी उन्नत नस्ल की गायों की खरीद को प्रोत्साहित करके उत्तर प्रदेश में दुग्ध उत्पादकता और प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता को बढ़ाना है। इस योजना का उद्देश्य देशी उन्नत नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाना, उनकी नस्लों में सुधार करना और पशुपालन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करना है। यह योजना राज्य के सभी जिलों में लागू की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत प्रति इकाई कुल लागत का 40% तक अनुदान (अधिकतम ₹80,000), जिसमें गायों की खरीद, परिवहन, बीमा, चारा काटने की मशीन और शेड निर्माण शामिल है। यहाँ एक इकाई का अर्थ प्रति लाभार्थी 02 देशी उन्नत नस्ल की गायें हैं और इकाई लागत लगभग 2 लाख मानी जाती है। इस योजना में अनुदान की राशि राज्य कार्यक्रम प्रबंधन इकाई द्वारा एक माह के भीतर डीबीटी के माध्यम से सीधे संबंधित लाभार्थी के बैंक खाते में जारी की जाएगी।
महत्वपूर्ण बिंदु:
· आवेदक उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए।
· आवेदक की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
· दुग्ध उत्पादक/पशुपालक के पास पशुओं को रखने के लिए पर्याप्त स्थान/शेड उपलब्ध होना चाहिए।
· दुग्ध उत्पादक/पशुपालक के पास पहले से ही देशी उन्नत नस्ल जैसे गिर, साहीवाल, हरियाणा, थारपारकर की 02 से अधिक गायें तथा संकर नस्ल की एफ-1 गाय नहीं होनी चाहिए।
· आवेदक को राज्य के बाहर से देशी उन्नत नस्ल की गायें खरीदनी चाहिए।
· आवेदक को प्रथम या द्वितीय ब्यांत वाली देशी उन्नत नस्ल की गायें खरीदनी चाहिए।
· आवेदक को रोगमुक्त एवं स्वस्थ गायें खरीदनी चाहिए।
· आवेदक को खरीदी गई सभी गायों का 03 वर्ष का पशु बीमा कराना चाहिए।
· आवेदक को पशुपालक द्वारा क्रय स्थान/राज्य से इकाई स्थापना स्थान तक गायों को लाने के लिए पारगमन बीमा कराना चाहिए।
बहिष्करण
यदि परिसंपत्ति तीन वर्ष से पहले बेची जाती है या किसी अन्य तरीके से हस्तांतरित की जाती है, तो अनुदान की वसूली जिला कार्यकारी समिति द्वारा नियमों के अनुसार की जाएगी।
ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया
**योजना का विवरण और आवेदन प्रक्रिया राज्य भर में विज्ञापित की जाएगी, जिसकी जानकारी विभागीय पोर्टल और स्थानीय कार्यालयों पर उपलब्ध होगी।**
1. पात्र आवेदक आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन पत्र (अनुलग्नक-1) डाउनलोड कर सकते हैं। (https://updairydevelopment.gov.in/NBDMSchemes.aspx )
2. आवेदन पत्र में, सभी अनिवार्य फ़ील्ड भरें, और सभी अनिवार्य दस्तावेज़ों की प्रतियां संलग्न करें (यदि आवश्यक हो तो स्वयं सत्यापित करें)।
3. मुख्य विकास अधिकारी या मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को दस्तावेजों के साथ विधिवत भरा और हस्ताक्षरित आवेदन पत्र जमा करें।
4. मुख्य विकास अधिकारी या मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी से रसीद या पावती का अनुरोध करें, जिनके पास आवेदन जमा किया गया है। सुनिश्चित करें कि रसीद में आवश्यक विवरण जैसे कि जमा करने की तिथि और समय, और एक विशिष्ट पहचान संख्या (यदि लागू हो) शामिल हैं।
चयन प्रक्रिया के बाद:
1. चयन पत्र प्राप्त होने के पश्चात लाभार्थी को 02 माह के अन्दर देशी उन्नत नस्ल की गाय क्रय करनी होगी। गिर, साहीवाल, हरियाणा अथवा थारपारकर नस्ल की गाय क्रय की जाएगी।
2. गायों की पहचान के लिए माइक्रोचिप/ईयर टैगिंग सिस्टम के माध्यम से कान पर टैग लगाना अनिवार्य है।
3. पशु क्रय हेतु समस्त विधिक औपचारिकताएं एवं अभिलेखों का रखरखाव लाभार्थी द्वारा स्वयं किया जाएगा।
4. प्रथम चरण में चयनित लाभार्थी द्वारा बाहरी राज्यों से देशी उन्नत नस्ल की गाय क्रय करने के पश्चात अधिकतम 01 माह के अन्दर अनुदान प्राप्त करने के लिए निर्धारित प्रारूप (अनुलग्नक-2) पर पुनः आवेदन किया जाएगा।
आवश्यक दस्तावेज
· आवेदन दस्तावेज:
1. पासपोर्ट साइज फोटो।
2. आधार कार्ड की स्व-सत्यापित फोटोकॉपी।
3. नोटरीकृत शपथ पत्र (आवेदक पहले से 02 से अधिक देशी उन्नत नस्ल की गाय या संकर नस्ल की एफ-1 गाय नहीं पाल रहा हो तथा उसके पास पशुपालन के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध हो)।
· अनुदान वितरण दस्तावेज:
1. पासपोर्ट साइज फोटो।
2. गाय खरीद रसीद।
3. पारगमन बीमा की प्रति।
4. परिवहन व्यय रसीद।
5. 03 वर्षों से लागू पशु बीमा की प्रति।
6. चारा काटने की मशीन खरीदने की प्रति।
7. व्यय की प्रति (गायों के रखरखाव के लिए शेड का निर्माण)।
8. दूध उत्पादक/पशुपालन लाभार्थी का आधार कार्ड।
9. प्रमाण पत्र और पहचान संख्या (मवेशियों की पहचान के लिए माइक्रोचिप/कान टैगिंग प्रणाली/पहचान की कोई मान्यता प्राप्त प्रणाली)।
10. पशु स्वास्थ्य प्रमाण पत्र (संबंधित विकास खंड के पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी, जिस पर गाय की प्रजाति का स्पष्ट उल्लेख हो।
11. नोटरीकृत शपथ पत्र (योजना के तहत स्थापित इकाई से संबंधित परिसंपत्तियों (गाय सहित) का रखरखाव कम से कम अगले 03 वर्षों तक किया जाएगा।
12. बैंक पासबुक/रद्द चेक।
13. चयन पत्र की फोटोकॉपी।