लव जिहाद कानून पर सुप्रीम कोर्ट की नजर: यूपी सरकार को नोटिस, बढ़ी कानूनी चुनौती
उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' और अवैध धर्मांतरण के खिलाफ बनाए गए विवादास्पद कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली है। सामाजिक कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा की याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। अब इस कानून पर व्यापक सुनवाई की उम्मीद है।

उत्तर प्रदेश में लगातार जारी लव जिहाद और गैरकानूनी धर्मांतरण के खिलाफ योगी सरकार ने सख्ती दिखाते हुए बड़ा फैसला लिया है. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इन मामलों पर रोक लगाने के लिए एक कानून पारित किया गया है. इस कानून के तहत लव जिहाद और गैरकानूनी धर्मांतरण से जुड़े मामलों पर त्वरित एक्शन का प्रावधान है. इस कानून को लेकर अब राज्य में विवाद होने लगा है. ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है. शीर्ष अदालत में ये याचिका लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा ने दायर की है. इसी क्रम में अब सुप्रेमम कोर्ट की तरफ उत्तर प्रदेश में बने इस विवादास्पद कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया गया है.
उत्तर प्रदेश सरकार के कानून को मिली चुनौती
उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ते लव जिहाद और गैरकानूनी धर्मांतरण के मामलों पर अब सरकार सख्ती दिखाते हुए कठोर फैसले ले रही है. इसी के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश में नया कानून लागू किया गया था. लेकिन योगी सरकार के इस कानून से राज्य में मतभेद बढ़ने लगा और विरोधियों से इस मामले पर न्याय की गुहार लगाते हुए सुप्रेमम कोर्ट का रुख किया. ये याचिका लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा ने दायर की है
उन्होंने अपनी याचिका में दलील दी है कि "ये कानून विभिन्न धर्मों से संबंध रखने वाले जोड़ों को परेशान करने का एक जरिया बन गया है." वर्मा का कहना है कि "इस कानून की आड़ में किसी को भी धर्मांतरण के आरोप में आसानी से फंसाया जा सकता है, जिससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है."
सुप्रीम कोर्ट में हो सकती है व्यापक सुनवाई
याचिका में यह भी मांग की गई है कि "जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में कोई भी कार्रवाई न करने का निर्देश दे." सुप्रीम कोर्ट ने इस नई याचिका को पहले से ही लंबित इसी तरह के मामलों के साथ जोड़ दिया है. यह संकेत देता है कि शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर व्यापक सुनवाई कर सकती है.
उत्तर प्रदेश में क्या है मौजूदा कानून?
उत्तर प्रदेश 'विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम', 2020, को बीजेपी सरकार ने लव जिहाद के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लागू किया था. हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कई कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून अल्पसंख्यकों और अंतरधार्मिक जोड़ों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. इस संवेदनशील मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की आगे की कार्यवाही पर सबकी नजर है.