Big Relief for Kerala Nurse Nimisha Priya की फाँसी 24 घंटे टली, राहत की खबर
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को अब 24 घंटे की बड़ी राहत मिली है। यह राहत भावना और राजनीतिक, धार्मिक और कानूनी प्रयासों के संगम का परिणाम है। यमन की हूती विद्रोहियों से लेकर भारत सरकार, कर्निस्थ धार्मिक नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन, सभी ने एकजुट होकर इस विस्तारपूर्ण प्रयास में भूमिका निभाई है।

यमन
की जेल में फांसी सजा काट रही केरल की नर्स निमिषा प्रिया को अब 24 घंटे की बड़ी राहत मिली है। यह राहत भावना और राजनीतिक, धार्मिक और कानूनी प्रयासों के संगम का परिणाम है। यमन की हूती विद्रोहियों से लेकर भारत सरकार, कर्निस्थ धार्मिक नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन, सभी ने एकजुट होकर इस विस्तारपूर्ण प्रयास में भूमिका निभाई है। विशेषकर कांतपुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार और सुप्रसिद्ध सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज की मध्यस्थता ने धमकी भरे माहौल में उम्मीद की किरण जगाई है
निमिषा प्रिया यमन में सतह पर चल रहा गृहयुद्ध
2017 में यमन में अपने व्यवसायिक साझेदार तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। अदालत के अनुसार, वह महदी को सेडेटिव इंजेक्ट करके उसे मारने का आरोप था, जिसके बाद उनके शरीर के टुकड़े वॉटर टैंक में पाए गए थे । 2020 में एक निचली अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई, जिसे 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने बरकरार रखा, लेकिन धर्मशास्त्र के तहत व्यवस्था को दरवाजा खुला छोड़ दिया । हूती विद्रोहियों का प्रभाव और भारत की राजनयिक सीमाओं ने निमिषा की मदद की राह को कठिन बना दिया था। पर भारत सरकार ने अपने डिप्लोमैटिक छोटे–मोटे रास्तों, जैसे सऊदी अरब और जिबूती स्थित मिशन तथा वालंटियर्स और धार्मिक मध्यस्थों की मदद से प्रयास जारी रखा । सुप्रीम कोर्ट में दायर PIL में सरकार ने यह माना कि न्यायिक हस्तक्षेप सीमित है और ब्लड मनी ही एकमात्र विकल्प बचा है ।
यमन की एग्जीक्यूशन डेट विशेष प्रभावशाली हस्तक्षेप
16 जुलाई , 2025 निर्धारित थी । इसके ठीक 1 दिन पहले , स्थानीय अभियोजन विभाग ने फांसी टालने का आदेश जारी किया , जिससे निमिषा को फिलहाल राहत मिली । यह राहत अनिश्चित अवधि की हो सकती है , लेकिन इसमें खून-खर्च निपटान ब्लड मनी के समाधान के लिए स्पेस मिल गया है । कन्टेक्टर प्रतिनिधियों में यह बात साफ है कि अब बातचीत समाप्त नहीं हो सकती । इस राहत पीछे का योगदान था । कांतपुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार , जिन्हें भारत में धर्मगुरु और ग्रैंड मुफ़्ती के रूप में जाना जाता है , ने खुद मोर्चा संभाला । उन्होंने सूफी स्कॉलर हबीब उमर बिन हाफिज के माध्यम से यमन में मृतक परिवार तक पहुंचकर संवाद की प्रक्रिया शुरू की । संवाद में सफलता , अभियोजन-मंडल , परिवार और समुदायों को शामिल करने से पहली बार प्रत्यक्ष संवाद स्थापित हुआ , जो अगला कदम है ।
राजनीतिक स्तर पर भी सक्रियता बातचीत को गुंजाइश मिली
देखने को मिली। केरल CM पिनारायी विजयन ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की, वहीं संसद सदस्य K. राधाकृष्णन ने पी.एम. को पत्र लिखकर लक्षित कार्रवाई की बात कही । विदेश मंत्रालय (MEA) ने यह स्पष्ट किया है कि कानूनी हस्तक्षेप सीमित हैं, लेकिन संवेदनशील अंतरराष्ट्रीय दबाव और ‘ब्लड मनी’ के रास्ते पर काम ज़ोर देकर किया जा रहा है । अब जैसे ही फांसी टाली गयी और दिया की, निमिषा की मां और परिवार का मानसिक बोझ कुछ हल्का हुआ है। सालों से सूचेतन तौर पर वे यमन में मौजूद रहे, अदालतों का सामना किया, विदेश राज्य मंत्रियों से मुलाकात की, लेकिन अंततः यह राहत उन्हें वास्तविक उम्मीद दे गई है । परिवार की भावनाओं में मिश्रित राहत झलकती है—जहां डर अभी भी है, वहीं उम्मीद की किरण भी उभरी है।
राहत केवल अस्थायी अब असली काम बचता है: ब्लड मनी की राशि तय करना, मृतक परिवार से समझौता कराए, दीयाह योजना को सफलतापूर्वक अंजाम देना और फांसी से पूर्ण मंत्रणा हासिल करना। केवल तब ही यह केस पूर्णता में समाप्त माना जा सकेगा। भारत सरकार, कांतपुरम मुसलियार, सूफी विद्वान, वकील और परिवार—सभी मिलकर इस अंतिम चरण में काम में जुट गए हैं। अगर यह सफल रहा तो यह अद्भुत मानवतावाद और संगीतमयी मिसाल बन सकता है।
निष्कर्ष
संक्षेप में, निमिषा प्रिया को 16 जुलाई 2025 को होने वाली फांसी से 24 घंटे पहले राहत मिली—यहां तक कि फांसी की रोक तकनीकी रूप से फिलहाल संरक्षित है, लेकिन असली लड़ाई ब्लड मनी और समझौते तक है। यह मामला संयुक्त प्रयास, धार्मिक मध्यस्थता, और राजनयिक जुझारूपन का नतीजा है। आगे का रास्ता कठिन है, लेकिन अब आसार हैं। यह कहानी उस इंसानियत की मिसाल है जो जब सामूहिक इरादों और सहानुभूति के साथ हो, तो एक जीवन बचाने में कामयाब हो सकती है।